नई दिल्ली। सरकार कुछ करदाताओं द्वारा अपनी आमदनी, कर भुगतान और अग्रिम कर देनदारी के स्वयं आकलन के लिये एक प्रणाली तैयार करने संबंधी प्रस्ताव को छोड़ सकती है। कुछ करदाताओं के लिये स्वैच्छिक कर अनुपालन के वास्ते यह प्रस्ताव किया गया था, लेकिन अंशधारकों की प्रतिकूल टिप्पिणयों की वजह से अब सरकार इसे आगे बढ़ाने से रोक सकती है। इस मामले की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी।
कंपनियों और कर आडिट मामलों के लिए प्रस्तावित रिपोर्टिंग तंत्र आयकर नियम, 1962 में नए नियम 39ए और फॉर्म संख्या 28एए को शामिल कर स्थापित किया जाना था। वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर टिप्पणियां मांगी थीं। वित्त मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया है कि सरकार को इस प्रस्ताव पर अंशधारकों की टिप्पणियां मिली हैं। इनमें नियम 39ए को लागू करने का विचार छोड़ने की सलाह दी गई है।
पिछले साल सितंबर में यह प्रस्ताव पेश करते हुए राजस्व विभाग ने कहा था कि करदाताओं के लिए अपनी मौजूदा आमदनी और अग्रिम कर देनदारी का सही अनुमान लगाना बेहद महत्वपूर्ण है।
यदि इस प्रस्ताव को अधिसूचित किया जाता है तो करदाता को मौजूदा साल के लिए अपनी आमदनी का अनुमान देना होगा और इससे पिछले साल की समान अवधि के लिए भी यह आकलन लगाना होगा। साथ ही अग्रिम कर में कमी के बारे में बिंदुवार वजह बतानी होगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक विशेषज्ञ ने कहा कि इस प्रस्ताव पर मिली टिप्पणियों की वजह से संभवत: वित्त मंत्रालय नियम 39ए को लागू करने के विचार पर आगे नहीं बढ़ेगा।
टैक्समैन के उप प्रबंधक नवीन वधवा ने कहा कि नियम 39ए का लक्ष्य वे करदाता हैं जिनका आय का अनुमान और अग्रिम कर भुगतान इससे पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले कम है। करदाता पहले ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से अनुपालन के बोझ से दबे हैं। एक मध्यम आकार की इकाई को हर साल आयकर और जीएसटी के तहत 50 से अधिक रिटर्न भरने होते हैं। ऐसे में इससे करदाताओं का अनुपालन बोझ बढ़ेगा।
खेतान एंड कंपनी के भागीदार अभिषेक एक रस्तोगी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य कारोबार सुगमता है। आयकर नियमों में प्रस्तावित 39ए नियमों जैसे प्रावधानों को क्रियान्वित नहीं किया जाना चाहिए।