नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह बैंकों के साथ 50,000 रुपए से अधिक के नकद लेन-देन पर बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स (बीसीटीटी) लगाने की मुख्यमंत्रियों की समिति की सिफारिश पर कोई निर्णय लेने से पहले सावधानी पूर्वक विचार करेगा।
डिजिटल लेनदेन पर सुझाव देने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में इस तरह के टैक्स की सिफारिश की है। रिपोर्ट में डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित और नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं।
समिति ने अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने के उद्देश्य से सभी तरह के बड़े लेन-देन में नकद लेन-देन की एक सीमा तय करने तथा 50,000 रुपए से अधिक के लेन-देन पर शुल्क लगाने की सिफारिश की है।
- समिति ने कार्ड और ऐसे दूसरे साधनों के जरिये भुगतान के लिए कई तरह के प्रोत्साहनों की भी सिफारिश की है।
- वित्त मंत्रालय ने आज जारी वक्तव्य में कहा है कि इन सिफारिशों पर सावधानी के साथ गौर किया जाएगा और उचित समय पर यथोचित निर्णय लिए जाएंगे।
- मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया में समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बारे में कई तरह के समाचार आए हैं। इसमें यह सिफारिश 50,000 रुपए और इससे अधिक के नकद लेन-देन पर बैंक नकद लेनदेन टैक्स लगाने के बारे में भी है।
- वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन सिफारिशों पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
- सरकार ने गत नवंबर में 1000 और 500 रुपए मूल्य के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के निर्णय के बाद मुख्यमंत्रियों की इस समिति का गठन किया था।
- समिति को नकदी के प्रयोग को कम करने के लिए डिजिटल भुगतान के समाधान अपनाने के बारे में सुझाव प्रस्तुत करने को कहा गया था।
- समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि गैर-करदाताओं और छोटे व्यापारियों द्वारा स्मार्टफोन खरीदने पर 1,000 रुपए की सब्सिडी दी जानी चाहिए।
- समिति ने कहा है कि सरकारी प्रतिष्ठानों, एजेंसियों को डिजिटल तरीके से भुगतान किए जाने पर शून्य अथवा कम से कम मर्चेंट रियायती दर (एमडीआर) रखा जाना चाहिए।
- इससे पहले 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बैंकों से नकद लेन-देन पर टैक्स लगाने की शुरुआत की थी।
- हालांकि इस टैक्स को एक अप्रैल 2009 से वापस ले लिया गया था।