नयी दिल्ली: जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों और धोखाधड़ी करने वालों को देश से भागने से रोकने के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और अधिकार दिए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अब संदिग्धों के खिलाफ निगरानी नोटिस (लुक आउट सर्कुलर-एलओसी) जारी करने का अनुरोध कर सकेंगे। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के देश से भागने के बाद यह कदम उठाया गया है।
गृह मंत्रालय ने हाल में सर्कुलर में बदलाव करते हुए सरकारी बैंकों के सीईओ को उन अधिकारियों की सूची में शामिल किया है जो मंत्रालय से एलओसी जारी करने का अनुरोध कर सकेंगे। इससे पहले वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार की अगुवाई वाली अंतर मंत्रालयी समिति ने सरकारी बैंकों के प्रमुख को एलओसी का आग्रह करने का अधिकार देने की सिफारिश की थी। इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने यह कदम उठाया है।
इन बदलावों के बारे में पूछने पर कुमार ने कहा कि यह सरकार के बैंकिंग क्षेत्र को साफसुथरा करने के अभियान का ही हिस्सा है। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों से 50 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लेने वाले कर्जदारों का पासपोर्ट ब्योरा लेने को कहा था। कुमार ने कहा, ‘‘हालांकि, सिर्फ पासपोर्ट का ब्योरा ही काफी नहीं है। इस सर्कुलर के जरिये बैंकों को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों और धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। वे संबंधित प्राधिकरण से एलओसी जारी करने का आग्रह कर सकते हैं।
वित्तीय सेवा विभाग ने भी सभी सरकारी बैंकों के प्रमुखों को परामर्श जारी कर सर्कुलर में बदलाव का संज्ञान लेने और जरूरत होने पर उसी के हिसाब से कार्रवाई करने को कहा है।