नई दिल्ली। दलहन की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल मोजांबिक भेजा है, जो सरकारी स्तर पर इसके आयात के लिए अल्प और दीर्घकालिक पहलों की संभावना तलाशेगा। लगातार दो साल के सूखे के बाद घरेलू दलहन उत्पादन में 70 लाख टन की कमी के बीच दालों का खुदरा मूल्य 200 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गया है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव हेम पांडे के नेतृत्व में उच्च स्तरीय शिष्टमंडल मोजांबिक गया है। शिष्टमंडल मोजांबिक में दोनों सरकारों के बीच कार्य-व्यापार के तौर पर दलहन आयात की अल्प और दीर्घकालिक संभावनाओं की तलाश करेगा। इस शिष्टमंडल में वाणिज्य एवं कृषि मंत्रालय के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। एक और शिष्टमंडल म्यामांर में वहां से आयात के लिए दलहन की उपलब्धता पर चर्चा करने के लिए गया है।
कारोबारियों के मुताबिक 50,000 टन तुअर की दाल के लिए म्यामांर से बातचीत उन्नत चरण में है लेकिन पर्याप्त बुनियादी ढांचे के अभाव में वह भारत को दलहन आपूर्ति के प्रति प्रतिबद्धता जताने के प्रति आशंकित है। उन्होंने कहा कि भारत की तरह म्यामांर में एमएमटीसी और एसटीसी जैसी सार्वजनिक कारोबारी एजेंसी नहीं है। मोजांबिक के अलावा भारत मालावी जैसे अन्य अफ्रीकी देशों में भी विकल्प तलाश रहा है ताकि भारत की मांग पूरी की जा सके।
सरकारी स्तर पर दलहन के आयात का फैसला वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह हुई बैठक में किया गया था। कारोबारियों के लिए स्टॉक की सीमा तय किए जाने, आठ लाख टन तक का बफर स्टॉक तैयार करने और चने के वायदा करोबार पर प्रतिबंध आदि समेत विभिनन सरकारी पहलों के बावजूद दलहन की कीमत बढ़ रही है। औद्योगिक आंकड़ों के मुताबिक निजी कारोबारियों ने अब तक 30 लाख टन दलहन का आयात किया है, जो अगस्त से सितंबर के बीच पहुंचेगा।
पिछले साल निजी स्तर पर 57.9 लाख़ टन दलहन का आयात हुआ। लगातार दो साल के सूखे के बीच दलहन का उत्पादन 1.70 करोड़ टन रहा, जबकि मांग 2.35 करोड़ टन रही।
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