नई दिल्ली। बुनियादी संरचना की विकास योजनाओं को लेकर गठित एक सरकारी समिति ने राजमार्गों में अधिक निजी निवेश की जरूरत पर जोर दिया है। समिति का कहना है कि अगले पांच साल में सड़क क्षेत्र में परियोजनाओं में 20.33 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ सकती है। वित्त मंत्रालय ने आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) का खाका तैयार करने के लिये इस कार्य बल का गठन किया था। कार्य बल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बुधवार को सौंपी अंतिम रिपोर्ट में ये सुझाव दिये हैं।
कार्य बल ने वित्त वर्ष 2024-25 तक देश में बुनियादी क्षेत्र की तमाम परियोजनाओं में कुल 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत का अनुमान व्यक्त किया है। उसने कहा है कि लक्ष्य किये गये कुल निवेश का 18 प्रतिशत अकेले सड़क क्षेत्र में होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से 2025 तक लक्ष्य किये गये 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा सड़क क्षेत्र में आने के अनुमान हैं। इसमें भी सड़क की लंबाई और सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने पर ज्यादातर निवेश हो सकते हैं।
कार्य बल ने कहा कि महत्वाकांक्षी लक्ष्य को देखते हुए, निजी क्षेत्र की बढ़ी हुई भागीदारी महत्वपूर्ण है। कार्य बल ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को निजी क्षेत्र के लिये तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले मॉडल जैसे इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (ईपीसी) तथा हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (एचएएम) का श्रेय दिया। उसने कहा कि इससे 2015 के बाद से राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की दर दोगुनी हो सकती है। केंद्र सरकार द्वारा इन परियोजनाओं के लिये कुल पूंजीगत व्यय का अनुमान 13.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इन परियोजनाओं में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे जैसे नये एक्सप्रेसवे का निर्माण शामिल है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 1,320 किलोमीटर की नयी एक्सप्रेसवे परियोजना है, जिसे ईपीसी मॉडल के तहत 40 पैकेजों में अनुमानित कुल 90,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जायेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) 31 अक्टूबर 2019 तक 24,097 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के 19 पैकेजों के ठेके दे चुका है