नई दिल्ली। केंद्र सरकार की रेलवे की दो कंपनियों भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) और भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) का इस साल सितंबर तक प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की योजना है। सरकार का इनके आईपीओ से 1500 करोड़ रुपए जुटाने का इरादा है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में आईआरएफसी का आईपीओ पेश करने की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, कंपनी ने रेल मंत्रालय को बताया था कि सूचीबद्ध होने पर उसकी उधारी लागत बढ़ जाएगी। इस संबंध में अंतिम फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल लेगा।
उन्होंने कहा कि हम सितंबर तक दोनों कंपनियों के आईपीओ लाने के लिए काम कर रहे हैं। लोकसभा चुनावों के बाद आईआरएफसी को फिर से मंत्रिमंडल के पास जाना पड़ सकता है। आईआरएफसी भारतीय रेल के विस्तार योजनाओं के वित्तपोषण के लिए पूंजी बाजार और उधारी के माध्यम से पूंजी जुटाती है। वहीं, आईआरसीटीसी रेलवे का खानपान और पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों की जिम्मेदारी संभालती है।
सरकार की इन दो कंपनियों के आईपीओ के जरिये करीब 1,500 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। आईआरसीटीसी के आईपीओ के जरिये करीब 500 करोड़ रुपए, जबकि आईआरएफसी की पेशकश के जरिये करीब 1,000 करोड़ रुपए जुटाये जाने की उम्मीद है।
अधिकारी ने कहा कि आईआरसीटीसी और आईआरएफसी आईपीओ के लिए बाजार नियामक सेबी के पास जल्द मसौदा दस्तावेज जमा करेंगे। यह प्रक्रिया चुनाव होने और नई सरकार के गठन के बाद होगी। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) में 12.12 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री करके करीब 480 करोड़ रुपए जुटाए हैं।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने अप्रैल 2017 में रेलवे की पांच कंपनियों को सूचीबद्ध कराने को मंजूरी दी थी। इनमें इरकॉन इंटरनेशनल, राइट्स, आरवीएनएल, आईआरएफसी और आईआरसीटीसी शामिल हैं। इनमें से इरकॉन इंटरनेशनल और राइट्स को 2018-19 में सूचीबद्ध कर लिया गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के विनिवेश से 90,000 करोड़ रुपए का बजट लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में विनिवेश से 85,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था।