नई दिल्ली। दालों के दाम 200 रुपए किलो तक पहुंचने के बीच सरकार ने कहा कि वह कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा घरेलू उत्पादन और आयात को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा, केन्द्र सरकार दालों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है।
इसमें कहा गया है, एक तरफ सरकार विदेशों से दलहन आयात कर नागरिकों को राहत देने का प्रयास कर रही है साथ ही जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इसके अलावा सरकार दलहन उत्पादन को बढ़ाने तथा दलहन किसानों को सहायता देने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। सूखे के कारण विगत दो फसल वर्षो में उत्पादन में कमी के कारण देश के खुदरा बाजारों में दलहन की कीमतें 198 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने हाल में फसल वर्ष 2016-17 के लिए खरीफ दलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी वृद्धि की घोषणा की ताकि किसान अधिक दलहन उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित हो सकें। उसने कहा कि मुख्य आर्थिक सलाहकार के तहत समिति गठित की गई है ताकि दीर्घावधिक नीति बनाई जा सके और किसानों के बोनस और एमएसपी की समीक्षा की जा सके।
कृषि मंत्रालय ने कहा कि बफर स्टॉक के आकार को बढ़ाकर पहले के आठ लाख टन के मुकाबले 20 लाख टन किया गया है। मंत्रालय ने बयान में कहा गया है कि सरकार बफर स्टॉक तैयार करने के लिए स्थानीय बाजार से दलहनों की खरीद कर रही है। इसमें कहा गया है कि एक लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले अभी तक 69,000 टन दलहन की खरीद की गई है। विग्यप्ति में कहा गया है,चना और मसूर की खरीद क्रमश: 4,900-7,000 रुपए और 5,400-8,500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की गई है। दलहनों की खरीद अभी भी प्रगति पर है।
सरकार ने पिछले वर्ष खरीफ सत्र में 50,000 टन से अधिक दलहन की खरीद की। दलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने कहा कि 29 राज्यों के सभी 638 जिलों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में शामिल किया गया है। गोवा, केरल और आठ पूर्वोत्तर राज्यों तथा तीन पहाड़ी राज्यों को अब इस मिशन में शामिल किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने दलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए इस मिशन के तहत आवंटन भी बढ़ा दिया है।
यह भी पढ़ें- कृषि मंत्रालय ने बैंकों से कहा किसानों को समय पर दे कर्ज, मंजूरी प्रक्रिया को बनाया आसान
यह भी पढ़ें- किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए खेती के मशीनीकरण पर जोर, घटेगी लागत और बढ़ेगा उत्पादन