नई दिल्ली। देश में मुखौटा या कागजी कंपनियों के गोरखधंधे के खिलाफ सख्ती की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने गड़बड़ी करने वाली ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कार्यबल गठित किया है।
कंपनी मंत्रालय के तहत आने वाले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने नोटबंदी के दौरान 49 कागजी कंपनियों के खिलाफ मामले दायर किए हैं। इन मामलों में 3,900 करोड़ रुपए का कथित रूप से धनशोधन किया गया है। इन मामलों में 559 लोगों ने 54 पेशेवरों की मदद से गड़बडि़यां की हैं। नोटबंदी के बाद कागजी कंपनियों के खाते में 1238 करोड़ रुपए की नकद जमा के संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं।
सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी करने में लिप्त ऐसी कंपनियों के बैंक खाते जब्त करने और कागजी कंपनियों का पंजीकरण खत्म करने का भी निर्णय किया है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की गई एक समीक्षा के बाद गठित कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों और प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्य रखे गए हैं। इसका नेतृत्व राजस्व और कॉरपोरेट मामलों के सचिव करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार,
देश में करीब 15 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से छह लाख ही अपना वार्षिक विवरण जमा कराती हैं। इसका अर्थ है कि इनमें बहुत सी कंपनियां वित्तीय अनियमिताओं में लिप्त हैं।
- गड़बडि़यों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ बेनामी लेन-देन (निरोधक) संशोधित अधिनियम-2016 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- ऐसी कंपिनयों के बैंक खाते जब्त किए जाएंगे और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म किया जाएगा।
- संबंधित विनियामक मंत्रालयों को खोखा कंपनियों के कारोबार की फर्जी प्रविष्टियां तैयार करने में सहायक पेशेवरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।
- तय किया गया है कि खोखा कंपनियों की पहचान के लिए कुछ संकेतक इस्तेमाल किए जाएंगे और ऐसी कंपनियों के निदेशकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा और इसमें विभिन्न एजेंसियों की मदद ली जाएगी।
- इसमें संबंधित व्यक्तियों की आधार पहचान संख्या का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा।
- आयकर विभाग के संज्ञान में आया है कि पिछले साल खोखा कंपनियों ने 80,000 करोड़ रुपए तक के पूंजीगत लाभ पर छूट हासिल की।
- बजट 2017-18 में एक अक्टूबर 2004 के बाद ऐसी गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के लेन-देन पर 10 प्रतिशत पूंजीगत लाभ टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है, जिन्होंने खरीद के समय प्रतिभूति लेन-देन टैक्स (एसटीटी) नहीं दिया होगा।