नई दिल्ली। सब्सिडी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना से कल्याणकारी योजनाओं में संसाधनों की उल्लेखनीय बचत हुई है, जिनमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली, एलपीजी वितरण और मनरेगा में हुई 27,000 करोड़ रुपए की बचत शामिल है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में कही गई। बैठक में यह भी बताया गया कि 2015-16 में डीबीटी के जरिये 30 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 61,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का वितरण किया गया, जिनमें मनरेगा के तहत 25,000 करोड़ रुपए और एलपीजी वितरण से जुड़ी पहल योजना के तहत 21,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि शामिल है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया कि आधार और डीबीटी कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा के लिए हुई दो घंटे की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने ऐसा मंच तैयार करने के महत्व पर जोर दिया, जो गलतियों से मुक्त हो और यह सुनिश्चित हो कि लक्षित लाभार्थियों को समय पर लाभ मिले। बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री को आधार संख्या तैयार करने और आधार संख्या को आधिकारिक आंकड़ों के साथ जोड़ने की दिशा में प्रगति के बारे में सूचना प्रदान की गई ताकि लाभार्थियों की पहचान की प्रक्रिया तय की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि वंचित वर्ग तक सब्सिडी सही तरीके से पहुंचे।
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डीबीटी के कारण विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में उल्लेखनीय बचत होगी। इससे फर्जी लाभार्थियों को भी हटाने में मदद मिली। बयान के मुताबिक, मसलन, 1.6 करोड़ से अधिक फर्जी राशन कार्ड खत्म किए गए, जिससे करीब 10,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी की बचत हुई। इसी तरह 3.5 करोड़ फर्जी लाभार्थी पहल योजना से हटाए गए, जिससे सिर्फ 2014-15 में ही 14,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई। बयान में कहा गया कहा कि मनरेगा में भी 2015-16 के दौरान अनुमानत: 3,000 करोड़ रुपए (लगभग 10 फीसदी) की बचत हुई। इसमें कहा गया कि कई राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में भी डीबीटी के जरिए उल्लेखनीय बचत हुई।