नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिवाली से पहले लाखों किसानों को दिवाली का शानदार तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को प्रधानमंत्री आवास पर हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में रबी फसल के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 85 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने का फैसला किया गया है। पिछले साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1840 रुपए प्रति क्विंटल था, जो इस साल बढ़कर अब 1925 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा।
सरकार ने बुधवार को गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 85 रुपए बढ़ाकर 1,925 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। वहीं दलहनों के एमएसपी में 325 रुपए क्विंटल तक की वृद्धि की गई है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की यहां हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। सूत्रों के अनुसार सीसीईए ने फसल वर्ष 2019-20 के लिए सभी रबी फसलों के लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने को मंजूरी दे दी है।
एमएसपी वह दर है जिस मूल्य पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। सूत्रों के अनुसार सीसीईए ने 2019-20 के लिए गेहूं का एमएसपी 85 रुपए क्विंटल बढ़ाकर 1,925 रुपए प्रति क्विंटल किया है, जो पिछले साल 1,840 रुपए प्रति क्विंटल था। चालू फसल वर्ष के लिए जौ का एमएसपी 85 रुपए बढ़ाकर 1,525 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है, जो पिछले साल 1,440 रुपए प्रति क्विंटल था।
दाल की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मसूर का एमएसपी 325 रुपए बढ़ाकर 4,800 रुपए प्रति क्विंटल किया गया, जो पिछले साल 4,475 रुपए प्रति क्विंटल पर था। इसी प्रकार चना का एमएसपी 255 रुपए बढ़ाकर 4,875 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। इससे पिछले साल यह 4,620 रुपए प्रति क्विंटल था।
तिलहन के मामले में रेपसीड/सरसों का एमएसपी 2019-20 के लिए 225 रुपए बढ़ाकर 4,425 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। फसल वर्ष 2018-19 में यह 4,200 रुपए प्रति क्विंटल था। सनफ्लावर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 270 रुपए बढ़ाकर 5,215 रुपए क्विंटल किया गया है। इससे पिछले साल इसका एमएसपी 4,945 रुपए क्विंटल था।
रबी फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में की गई सिफारिशों के अनुरूप है। रबी मौसम की फसलों में गेहूं, चना, सरसों मुख्य फसल होती है। इनका विपणन अप्रैल के बाद होता है।