नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को कमर्शियल कोयला खनन नीलामी के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए बिक्री के लिए 67 ब्लॉक की पेशकश की और इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक कदम बताया। यह 2014 में नई नीलामी व्यवस्था शुरू होने के बाद किसी एक चरण में पेश की गईं खदानों की सबसे बड़ी संख्या है। कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने कोयले की बिक्री के लिए 67 खदानों की पेशकश करते हुए आज कोयला नीलामी के दूसरे चरण की शुरुआत की।’’ केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में नीलामी प्रक्रिया शुरू की। इस मौके पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और कोयला सचिव अनिल कुमार जैन भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम कोयले को देश में आर्थिक गतिविधियों का प्रेरक बना रहे हैं। भारतीय कोयला क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इसलिए मैं निवेशकों को आने और देश में कोयला भंडारों का पता लगाने में हिस्सा बनने का आमंत्रण देता हूं। आप अपना व्यवसाय बढाएं और भारत को विकास की राह पर ले जाएं।’’ उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन से नया निवेश आएगा, रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे और कोयला उत्पादक राज्यों में सामाजिक, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। ये 67 खदानें छह राज्यों - छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में हैं।
बीते साल के अंत में ही सरकार ने कहा था कि देश में कोयले का मौजूदा उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। कोयला भंडार के मामले में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है। सरकार घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। देश का कोयला आयात चालू वित्त वर्ष के पहले दस माह यानि अप्रैल-जनवरी में 11.59 प्रतिशत घटकर 18.08 करोड़ टन रह गया। हालांकि, जनवरी में भारत का कोयला आयात बढ़कर 2 करोड़ टन से अधिक रहा, जो एक साल पहले समान महीने में 1.86 करोड़ टन रहा था।