नयी दिल्ली। सरकार वाणिज्य मंत्रालय के अधीन आने वाली स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एसटीसी) की वित्तीय स्थिति में सुधार के उपायों पर विचार कर रही है। जिन उपायों पर विचार किया जा रहा है, उनमें बैंक कर्ज के भुगतान के लिए एसटीसी को पर्याप्त समय देने का प्रावधान तथा अचल संपत्ति की बिक्री शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, 'इन उपायों के बारे में वाणिज्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और बैंकों के बीच चर्चा की गयी है।' प्रस्ताव के तहत एसटीसी को 500 करोड़ रुपए के भुगतान के लिये पांच साल का समय दिया जा सकता है। इसके अलावा बैंकों से अपने बकायों की वसूली को लेकर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास दायर मामलों को वापस लेने के लिये कहा जाएगा।
एसटीसी की 2018-19 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार कंपनी नकदी की कठिन स्थिति से गुजर रही है। सभी बैंकों ने एसटीसी खातों को ब्याज और मूल राशि की वापसी नहीं होने से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित किया है।
कंपनी को 2018-19 में 881 करेाड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है जबकि उसे इससे पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में करीब 38 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। एसटीसी को कर्ज दे रखे बैंकों ने एसटीसी के खिलाफ डीआरटी/एनसीएलटी में याचिकाएं दायर की हुई हैं और प्रक्रियाएं जारी हैं। कंपनी अपने बकाये के निपटान को लेकर बैंकों के साथ पुनर्गठन समझौता करने की प्रक्रिया में है।