नई दिल्ली। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की गैस कारोबार करने वाली कंपनी गेल (इंडिया) लिमिटेड के पाइपलाइन कारोबार को एक अलग कंपनी बनाकर उसे रणनीतिक निवेशक को बेचने पर विचार कर रही है। गेल देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस विपणन कंपनी है। देश के 16,234 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का दो-तिहाई से अधिक का स्वामित्व उसके पास है।
प्राकृतिक गैस के उपयोगकर्ता अक्सर यह शिकायत करते रहे हैं कि अपने ईंधन के परिवहन के लिए वे 11,551 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। सूत्रों ने बताया कि एक ही कंपनी के पास दोनों कारोबार होने की वजह से पैदा हो रही इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए गेल के विभाजन पर विचार किया जा रहा है।
सरकार इससे पहले गेल के विपणन कारोबार को संभवत: किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को बेचने पर विचार कर रही थी लेकिन अब पाइपलाइन कारोबार को गेल से अलग कर एक कंपनी बनाने और उसकी बहुलांश हिस्सेदारी रणनीतिक निवेशक को बेचने के बारे में सोच रही है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अब गेल का विपणन कारोबार जारी रखने पर विचार कर रही है। इसके तहत गैस के बिक्री अनुबंध और शहरी गैस खुदरा कारोबार जारी रहेगा। सूत्रों का कहना है कि गेल पाइपलाइन कारोबार को एक अलग कंपनी में तब्दील कर उसकी बहुलांश हिस्सेदारी किसी रणनीतिक निवेशक को बेची जा सकती है। इस मामले में कनाडा की संपत्ति प्रबंधन कंपनी ब्रुकफील्ड का नाम भी लिया जा सकता है। इस कंपनी ने हाल ही में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का 1,480 किलोमीटर पाइपलाइन कारोबार खरीदा है।