नई दिल्ली। देश के निर्यात में सुस्ती को बढ़ावा देने के लिए सरकार रत्न एवं आभूषण समेत कई क्षेत्रों के लिए उपायों की घोषणा कर सकती है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि इन उपायों पर बातचीत के लिए वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय कई दौर की वार्ता कर चुका है।
विचाराधीन प्रस्ताव के रूप में सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में इकाइयों के कर संबंधी लाभ को हटाने की समय सीमा बढ़ा सकती है। सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में यह घोषणा की थी कि आयकर संबंधी लाभ सेज की केवल उन्हीं नई इकाइयों को मिलेंगे, जो 31 मार्च 2020 से पहले कार्य करना शुरू कर देंगी। रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए सरकार रंगीन रत्न (पत्थर) और पॉलिश हीरों पर आयात शुल्क को घटाने पर विचार कर रही है। वर्तमान में यह 7.5 प्रतिशत है।
इसके अलावा, सरकार भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम की ओर से निर्यात कर्ज के लिए मिलने वाले बीमा कवर को 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने पर भी विचार कर रही है। यह बैंकों को प्रतिस्पर्धी दरों में निर्यात ऋण उपलब्ध कराने में सक्षम बनाएगा। आयात एवं निर्यात खेपों के जल्द से जल्द मंजूरी (क्लीयरेंस) के लिए मानक परिचालन प्रकिया लागू की जा सकती है।
निर्यातकों ने कई अन्य उपाय किए जाने की भी मांग की है। इसमें गैर-बासमती चावल और कपड़ा जैसे क्षेत्रों के लिए भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) का लाभ देना शामिल है। इसके अलावा बड़ी दवा कंपनियों को ब्याज सहायता देने की भी मांग की गई है।
निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि आर्थिक अनिश्चितताओं की वजह से दुनिया भर में मांग में कमी के बीच देश का निर्यात मुश्किल दौर से गुजर रहा है। निर्यातकों के लिए उपाय किए जाने से उन्हें इससे बाहर आने में मदद मिलेगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। देश के निर्यात में जुलाई महीने में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान निर्यात 0.37 प्रतिशत गिरकर 107.41 अरब डॉलर रह गया।