नई दिल्ली। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अगर गेहूं की कीमतों में निरंतर वृद्धि जारी रहती है तो सरकार इसपर 25 प्रतिशत आयात शुल्क को वापस ले सकती है। इस समय गेहूं पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लागू है जो कि 30 जून तक के लिए है। पासवान ने कहा, सरकार गेहूं की कीमतों पर करीबी नजर रखे है। गेहूं की कीमतों के हालिया रुख को ध्यान में रखते हुए हम गेहूं पर आयात शुल्क को वापस ले सकते हैं। हम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि अभी तक गेहूं की खरीद 50 लाख टन कम यानी 229 लाख टन है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 280 लाख टन थी। इस वर्ष मार्च में सरकार ने गेहूं पर आयात शुल्क को और तीन महीने जून तक के लिए बढ़ा दिया ताकि इसके आयात पर लगाम लगाई जा सके क्योंकि इस वर्ष इसका घरेलू उत्पादन करीब आठ प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। भारतीय आटा मिलों ने पहले से ही ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस से तीन लाख टन गेहूं के आयात के लिए अनुबंध किया हुआ है। पिछले वर्ष भी निजी आटा मिलों ने घरेलू स्तर पर अधिक प्रोटीन की मात्रा वाले गेहूं की कम आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कम कीमत के कारण एक दशक में पहली बार ऑस्ट्रेलिया से पांच लाख टन गेहूं खरीदा था।
गेहूं का आयात करने का कारण वैश्विक कीमतों का कमजोर होना है और इसके अलावा स्थानीय व्यापारियों को उम्मीद है कि सूखे के कारण घरेलू उत्पादन में कमी आएगी। एक अप्रैल की स्थिति के अनुसार सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास तीन करोड़ टन गेहूं का स्टॉक था जो 74.6 लाख की वास्तविक जरूरत से कहीं अधिक है। कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार लगभग 10 राज्यों में सूखे के बावजूद फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में गेहूं उत्पादन नौ करोड़ 40.4 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि में आठ करोड़ 65.3 लाख टन का हुआ था।