नई दिल्ली। सरकार ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी को 1.4 अरब डॉलर की देनदारी के बदले रत्ना आर-श्रृंखला जैसे तेल क्षेत्र सौंप सकती है। इससे सरकार को भुगतान में चूक के चलते विदेशी परिसंपत्तियां जब्त होने से बचाने तथा संघर्षरत घरेलू खोज व उत्पादन क्षेत्र में एक अनुभवी कंपनी लाने में मदद मिल सकती है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। केयर्न एनर्जी ने भारत को सबसे बड़ा अंतर्देशीय तेल क्षेत्र खोज कर दिया है, लेकिन 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग के बाद केयर्न ने भारतीय कारोबार बंद कर दिया। सरकार ने कंपनियों पर पिछली तारीख से कर लगाने की व्यवस्था के तहत केयर्न से यह कर मांग की थी। हालांकि, कंपनी अब उक्त कर मांग के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट में जीत हासिल कर चुकी है। पंचाट ने सरकार को केयर्न के बेचे शेयरों का मूल्य, जब्त किये गये लाभांश और रोके गये कर रिटर्न को लौटाने के लिये कहा है। मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते राजस्व में कमी से जूझ रही सरकार के लिये पंचाट के फैसले के खिलाफ अपील करने के सीमित विकल्प हैं। इसके साथ ही सरकार इतना भारी-भरकम भुगतान करने में भी सक्षम नहीं हो सकती है।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘सरकार के पास एक विकल्प यह है कि वह अन्य कंपनियों के द्वारा विभिन्न कारणों से लौटाये गये तेल व गैस क्षेत्रों में से एक या अधिक केयर्न को सौंप दे। सरकार केयर्न को अरब सागर में स्थित रत्ना व आर श्रृंखला के तेल एवं गैस क्षेत्र दे सकती है। अनुबंध की शर्तें बदल जाने के बाद 2016 में ये क्षेत्र एस्सार ऑयल और प्रीमियम ऑयल के गठजोड़ से वापस ले लिये गये थे।’’ एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘‘यह दोनों पक्ष के लिये सकारात्मक है। सरकार इस तरह से बिना एक रुपये का भुगतान किये या पंचाट के फैसले को नहीं मान निवेशकों को नाराज करने से बचते हुए समाधान निकाल सकती है। इसके साथ ही सरकार को खोज एवं उत्पादन क्षेत्र में एक स्थापित कंपनी को वापस लाने में भी मदद मिल सकती है।’’ उल्लेखनीय है कि पिछले सात वर्षों में देश में कोई बड़े तेल व गैस क्षेत्र की खोज नहीं हुई है।