नई दिल्ली। सरकार कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 vaccine) के विकास में मदद और प्रोत्साहन के लिए सभी प्रयास कर रही है, लेकिन देश में व्यापक स्तर पर टीकाकरण को प्रभावी बनाने के लिए कोल्ड चेन लॉजिस्टिक को मजबूत बनाने और टीकाकरण की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर ध्यान देने की बहुत अधिक आवश्यकता है। यह बात बुधवार को विशेषज्ञों ने कही।
भारत में वर्तमान में, विशेषज्ञों और उद्योग के 30 से अधिक ग्रुप सक्रियता से कोविड-19 वैक्सीन के विकास में सक्रियता से भागीदारी कर रहे हैं। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी साइंटिस्ट और एडवाइजर आशा शर्मा ने बताया कि देश में 6 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में है, इनमें से 4 का विकास घरेलू स्तर पर किया जा रहा है।
सीआईआई पार्टनरशिप समिट 2020 में इकोनॉमिक्स एंड लॉजिस्टिक्स ऑफ ए वैक्सीन रिस्पॉन्स पर आयोजन चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीन डेवलपमेंट को बढ़ावा देने और मदद करने के लिए सरकार समूचे ईकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए क्षमता विस्तार के लिए सभी प्रयास कर रही है।
शर्मा ने बताया कि ईकोसिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में पूरे देश में 11 अच्छे क्लीनिकल ट्रायल स्थानों की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार कोविड-19 के लिए वैक्सीन डेवलपमेंट को सपोर्ट और प्रमोटर करने के लिए सभी उद्देश्यपूर्ण और इंटीग्रेटेड प्रयास कर रही है।
आईएचएच हेल्थकेयर बरहाद ग्रुप के ऑपरेशन और इंटीग्रेशन हेड अशोक बाजपेयी ने कहा कि व्यापक स्तर पर टीकाकरण के लिए भारत के पास बहुत अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है लेकिन यहां कोल्ड चेन लॉजिस्टिक को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। मुझे डिस्ट्रीब्यूशन और एडमिनिस्ट्रेशन के फिजिकल प्रोसेस के बारे में कोई चिंता नहीं है। वास्तव में मुझे चिंता कोल्ड चेन लॉजिस्टिक और देश के कोने-कोने तक वितरित की जाने वाली वैक्सीन की दक्षता को लेकर है, जहां तुलनात्मक रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत खराब है।
सनोफी के इंडिया कंट्री हेड अन्नपूर्णा दास ने इस समय सूचना, शिक्ष्ज्ञा और संचार पर अधिक जोर देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत के पास कोल्ड चेन और हेल्थकेयर वर्कर्स क्षमता को लेकर एक अच्छा ब्लूप्रिंट मौजूद है और यह संपूर्ण फ्रेमवर्क पर्याप्त डिजिटल सक्षम है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन से जुड़ी अफवाहों को दूर करने के लिए यहां कम्युनिटी एजुकेशन इंफोर्मेशन प्रोग्राम की आवश्यकता है और यह वास्तविकता है और यह वैक्सीन की बर्बादी को भी कम करने में मदद करेगा।