कोलकाता। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि उनका मंत्रालय एमएसएमई के बकाया के मुद्दे के समाधान के लिए नई योजना बनाने और कानून पर विचार कर रहा है। भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए गडकरी ने सोमवार कहा कि एमएसएमई की प्राप्तियों के मुद्दे की वजह से क्षेत्र में कार्यशील पूंजी की समस्या पैदा हो रही है।
उन्होंने कहा कि प्राप्ति का मुद्दा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। इस मौके पर चैंबर के अध्यक्ष रमेश कुमार सराओगी ने सुझाव दिया कि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ बकाया के मुद्दे की निगरानी के लिए बाहरी एजेंसी की नियुक्ति की जानी चाहिए। मई में घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत घोषणा की गई थी कि केंद्र सरकार की एजेंसियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर एमएसएमई के बकाया का भुगतान 45 दिन में किया जाना चाहिए। केंद्र ने 10 दिसंबर को जारी बयान में कहा था कि पिछले सात माह के दौरान केंद्र सरकार की एजेंसियों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने एमएसएमई के 21,000 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान किया है।
कारोबारियों ने नई जीएसटी अधिसूचना को संशोधित करने को कहा
व्यापारी समुदाय ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद से हाल में जारी की गई नई जीएसटी अधिसूचना के कुछ प्रावधानों को वापस लेने का आग्रह किया है। सरकार ने 22 दिसंबर को जीएसटी नियमों के कुछ प्रावधानों में बदलाव के लिए अधिसूचना जारी की थी और कुछ नियम अगले साल एक जनवरी से लागू होने वाले हैं। एक बिंदु पर ही जीएसटी संग्रह की वकालत कर रहे छोटे व्यापारियों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापर मंडल ने एक ज्ञापन के जरिए हाल में जारी की गई जीएसटी अधिसूचना में कुछ बदलाव करने का आग्रह किया।
संगठन के महासचिव वी के बंसल ने कहा कि एक जनवरी 2021 से प्रभावी होने वाले नियम 86बी और 36(4), को रद्द कीजिए। ये प्रावधान जीएसटी की मूल भावना के खिलाफ हैं, क्योंकि ये सहज रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट को बाधित करते हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक जनवरी 2021 से लागू होने वाले जीएसटी नियमों के तहत नियम 86-बी को संशोधित किया है, जिसके तहत जीएसटी देयता को 99 फीसदी तक पहुंचाने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है। इसका अर्थ है कि 50 लाख से अधिक मासिक कारोबार वाले कारोबारियों को अपने जीएसटी दायित्व का कम से कम एक प्रतिशत अनिवार्य रूप से नकद भुगतान करना होगा।