नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि केंद्रीय बजट 2021-22 में सरकार एक मददगार की भूमिका में है और प्राइवेट सेक्टर आर्थिक विकास के लिए काफी अहम, जिसके बिना देश ग्रोथ का एक बड़ा अवसर खो सकता है। उन्होंने बेंगलौर चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यहां सबसे महत्वपूर्ण बात निजी क्षेत्र की भागीदारी है। जब तक निजी क्षेत्र में पर्याप्त ऊर्जा नहीं होगी, जब तक निजी क्षेत्र को पर्याप्त सुविधा नहीं दी जाएगी, तब तक भारत एक बहुत बड़ा अवसर खोता रहेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में देश की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और जरूरतों को सिर्फ राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा मिलकर पूरा नहीं किया जा सकता। वित्त मंत्री के मुताबिक कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास सरकारी-निजी भागीदारी का एक बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि एक वैश्विक नेता के रूप में भारत अधिक मानवीय है, हर किसी को एक साथ लाने का इच्छुक है, शांतिपूर्ण है, जो वास्तव में सभी की भलाई के लिए दुनिया की तरक्की चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारत को इस तरह अपनी जिम्मेदारी निभानी है, तो यह तब तक अधूरा रहेगा, जब तक कि सरकार अपनी भूमिका नहीं निभाती। सरकार की भूमिका मददगार की है और निजी क्षेत्र को प्रमुख वाहक की भूमिका निभानी होगी। इस बजट का यही संदेश है।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि बजट ने अगले दशक के लिए रास्ता तय किया है। उन्होंने बताया कि प्रोत्साहन पैकेजों, जो मोटे तौर पर सरकारी उधार पर निर्भर थे, के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया, जिनका व्यापक असर था। उन्होंने कहा कि सरकार ने उधार लेकर राहत दी है और उसे राजकोषीय प्रबंधन के बारे में पता है। वित्त मंत्री ने कहा कि ऋण-जीडीपी अनुपात एक अन्य संकेतक है, जो मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है और जिसका प्रबंधन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। साथ ही राजकोषीय घाटे को भी स्वस्थ स्तर पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार टिकाऊ वृद्धि चाहती है। इस कार्यक्रम में विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी, इंफोसिस के पूर्व निदेशक टी वी मोहनदास पई, प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी और वोल्वो इंडिया के अध्यक्ष तथा चेयरमैन कमल बाली उपस्थित थे।