नई दिल्ली। सरकार ने रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनी बीईएमएल में प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री के लिये रविवार को प्रारंभिक बोलियां आमंत्रित की। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार ने प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ बीईएमएल लिमिटेड की 26 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी के विनिवेश के लिये रुचिपत्र जारी किया है।’’ निवेश विभाग और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) द्वारा जारी प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) के अनुसार, बोली लगाने वाले बीईएमएल में हिस्सेदारी खरीदने के लिये एक मार्च तक ईओआई जमा कर सकते हैं। मौजूदा बाजार मूल्य पर 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से सरकारी खजाने को लगभग एक हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं। बीईएमएल के शेयर शुक्रवार को 974.25 रुपये पर बंद हुए। बीईएमएल रक्षा, रेल, बिजली, खनन और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में काम करती है। वित्त वर्ष 2019-20 में परिचालन से कंपनी का कुल राजस्व 3,028.82 करोड़ रुपये था।
वहीं एयर इंडिया के विनिवेश का दूसरा चरण 5 जनवरी, 2021 को शुरू होगा। दूसरे चरण में सरकार बोली लगाने वालों के नामों की घोषणा करेगी। विनिवेश की प्रक्रिया को दो चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में, बोली लगाने वालों की ओर से एक्सप्रेशन ऑफ इंटेरेस्ट (ईओआई) प्रस्तुत की गई हैं। अगले चरण में अब नियम और शर्तों के आधार पर इनका चयन किया जाएगा। मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि दूसरे चरण में, चुने गए इच्छुक बोली लगाने वालों को प्रस्ताव (आरएफपी) भेजने के लिए अनुरोध किया जाएगा और उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। कोविड-19 से पैदा हुए मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, ईओआई जमा करने की अंतिम तिथि 14 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा दी गई थी। योग्य इच्छुक बोली लगाने वालों को सूचना देने की तिथि 5 जनवरी, 2021 है।
सरकार एयर इंडिया में पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। कंपनी 2007 में घरेलू परिचालक इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद से नुकसान में है। इसके साथ ही एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी खरीदार के हवाले किया जायेगा। इससे पहले, 2017 से जारी विनिवेश प्रक्रिया को लेकर निवेशकों ने कोई रूचि नहीं दिखायी थी। इस बार सरकार ने सौदे को थोड़ा आकर्षक बनाया है। इसमें संभावित बोलीदाताओं को यह निर्णय करने का अधिकार होगा कि वे एयरलाइन का कितना कर्ज सौदे के तहत लेना चाहते हैं। इससे पहले, बोलीदाताओं को पूरा 60,074 करोड़ रुपये का कर्ज अपने ऊपर लेने को कहा गया था।