नई दिल्ली। प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र ने शुक्रवार को खुदरा और थोक व्यापारियों पर 31 दिसंबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू कर दी। ये कदम इसलिए उठाया गया है जिससे प्याज की घरेलू उपलब्धता की स्थिति में सुधार लाया जा सके और घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिल सके। उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, ‘‘बढ़ती प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने और जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है। खुदरा विक्रेताओं को दो टन और थोक विक्रेताओं को 25 टन तक स्टॉक रखने की सीमा तय की गई है।’’
इससे पहले उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि खुदरा व्यापारी केवल दो टन तक प्याज का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि थोक व्यापारियों को 25 टन तक रखने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि कीमतों में तेज बढ़त को देखते हुए सरकार को आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून लागू करना पड़ा - जिसे पिछले महीने ही संसद में पारित किया गया। यह कानून, सरकार को असाधारण मूल्य वृद्धि की स्थिति में खराब होने वाली वस्तुओं को विनियमित करने की अनुमति देता है।
भारी बारिश के कारण उत्पादक क्षेत्रों में खड़ी खरीफ फसल को नुकसान के मद्देनजर पिछले कुछ हफ्ते में प्याज की कीमतें 75 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर पहुंच गई हैं। देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव एपीएमसी में प्याज का औसत मूल्य 10 महीने का उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। जिसमें आयात के नियमों को सरल करना शामिल है, जिससे देश में प्याज का आयात बढ़ाया जा सके। इसके साथ ही देश के भंडारों में जमा प्याज के स्टॉक को भी बाजारों में तेजी से पहुंचाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
आमतौर पर मॉनसून से लेकर सर्दियों से पहले तक प्याज की कीमतों में उछाल का इतिहास रहा है। नई फसल में देरी, मॉनसून की वजह से आवाजाही पर असर इसकी मुख्य वजह है। वहीं बारिश से फसलों पर असर पड़ने से भी स्थिति और बिगड़ जाती है। इस साल बारिश की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्याज की फसल पर असर पड़ा है, जिससे सप्लाई घटने की आशंका बन गई है। वहीं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में देरी से बुवाई की वजह से प्याज की नई फसल आने में देऱी की संभावना से भी कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है।