नई दिल्ली: दालों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने मूंग को छोड़कर सभी दोलों पर 31 अक्टूबर तक स्टॉक लिमिट लगा दी है। यानी मूंग को छोड़कर कारोबारी किसी भी दाल या दलहन का सरकार की तरफ से तय लिमिट से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगे। सरकार ने रिटेल कारोबारियों के लिए 5 टन स्टॉक की लिमिट तय की है जबकि थोक कारोबारियों और आयातकों के लिए 200 टन की लीमिट तय की गई है जिसमें किसी एक वैरायटी का स्टोक 100 टन से ज्यादा नही हो सकता है। दाल मिल भी अपनी कुल सालाना क्षमता का 25 फीसदी से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगी।
मंत्रालय के अनुसार यदि संस्थाओं का स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें उपभोक्ता मामलों के विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर उसे घोषित करना होगा और आदेश की अधिसूचना के 30 दिनों के भीतर निर्धारित सीमा के भीतर लाना होगा। मंत्रालय ने कहा कि मार्च-अप्रैल में दालों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। बाजार को सही संकेत देने के लिए तत्काल नीतिगत निर्णय की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
बढ़ते दाम और जमाखोरी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मूंग को छोड़कर अन्य सभी दालों की स्टॉक सीमा तय कर दी। यह सीमा थोक, खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिल मालिकों सभी के लिये अक्टूबर 2021 तक लागू की गई है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से इस संबंध में एक आदेश जारी किया गया है जिसके मुताबिक दालों का स्टॉक रखने की सीमा तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है।
मिल मालिकों के मामले में, स्टॉक की सीमा उत्पादन के अंतिम तीन महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25 प्रतिशत, जो भी अधिक है उसके मुताबिक होगी। आयातकों के मामले में दालों की स्टॉक सीमा 15 मई, 2021 से पहले रखे या आयात किए गए स्टॉक के लिए थोक विक्रेताओं के बराबर की स्टॉक सीमा होगी।
आदेश में कहा गया है कि 15 मई के बाद आयात दालों के लिए आयातकों पर स्टॉक सीमा आयातित माल को सीमा शुल्क मंजूरी मिलने की तिथि के 45 दिन बाद लागू होगी। स्टॉक सीमा वही होगी जो कि थोक विक्रताओं के लिये तय की गई है। मंत्रालय के अनुसार, यदि संस्थाओं का स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें उपभोक्ता मामलों के विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर इसे घोषित करना होगा और आदेश की अधिसूचना के 30 दिनों के भीतर निर्धारित सीमा के भीतर लाना होगा। मंत्रालय ने कहा कि मार्च-अप्रैल में दालों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। बाजार को सही संकेत देने के लिए तत्काल नीतिगत निर्णय की आवश्यकता महसूस की गई।