नई दिल्ली। सरकार भारत चरण छह (बीएस-6) मानक 2020 से लागू करने के अपने फैसले पर अडिग है। हालांकि, ऑटो इंडस्ट्री ने इसे काफी चुनौतीपूर्ण काम करार दिया है। इंडस्ट्री का कहना है कि सिर्फ चार साल में कड़े एमिशन स्टैंडर्ड तक जाना एक कठिन कार्य है। इससे पहले जनवरी के शुरूआत में मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव ने कहा बीएस-6 से प्रदूषण कम नहीं होगा, लेकिन इससे कारें 20,000 से 2 लाख रुपए तक जरूर महंगी हो जाएंगी।
बीएस-6 मानक को लागू करना नहीं आसान
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के साथ बैठक में देश की 26 ऑटो कंपनियों के प्रमुखों ने बैठक की। इस बैठक में उन्होंने सुझाव दिया कि बीएस-6 मानक सबसे पहले 2020 में लॉन्च किए जाने वाले सभी नए मॉडलों पर लागू होने चाहिए और उसके बाद मौजूदा मॉडलों को इन्हें अपनाना चाहिए। बैठक के बाद सियाम के अध्यक्ष विनोद दसारी ने कहा कि इंडस्ट्री के लीडर्स ने मंत्री को बताया कि भारत चरण चार से चरण पांच में जाने के लिए पांच साल लगेंगे और चरण पांच से चरण छह में जाने के लिए छह साल का समय लगेगा। दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जो सीधे चरण छह में गया हो।
गडकरी ने पूछा है कि क्या हम चरण छह को 2020 तक ला पाएंगे?
विनोद दसारी ने कहा कि 10-12 साल के बजाय उद्योग जगत के खिलाडि़यों को इसे सात साल या छह साल में ही करना होगा। हालांकि, गडकरी ने पूछा है कि क्या हम चरण छह को 2020 तक ला पाएंगे। उद्योग ने कहा कि यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन हम रास्ता निकालेंगे। 2020 में सभी नए मॉडल चरण छह के साथ आएंगे। कुल मिलाकर इसी चीज पर हमने सहमति दी है।