नई दिल्ल। केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बढ़ते बैड लोन या एनपीए (गैर निष्पादित संपत्तियां) से निपटने के लिए अलग बैंक या कंपनी स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। हालांकि, इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, हमने संपत्ति पुनर्गठन कंपनी स्थापित करने पर विचार किया है। लेकिन समस्या यह है कि इस मुद्दे पर राय अभी तक भिन्न-भिन्न है।
कुछ बैंकारों का मानना है कि सरकारी बैंकों के बढ़ते एनपीए की मौजूदा स्थिति को देखते हुए बैड बैंक की स्थापना एक ठोस कदम होगा। पंजाब नेशनल बैंक की प्रबंध निदेशक उषा अनंतसुब्रमण्यन ने कहा, बैड बैंक की अवधारणा एक अच्छी चीज है। इसे इस तरीके से गठित करना होगा कि यह अपनी पूरी दक्षता से कामकाज कर सके। मौजूदा समय को देखते हुए यह गलत विचार नहीं है। वहीं कुछ अन्य बैंकरों ने चिंता जताई है कि बैंक अपनी दबाव वाली परिसंपत्तियों को इस तरह के संस्थानों को स्थानांतरित करेंगे, इससे वे डूबत ऋण को लेकर कोताही बरतेंगे।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन हाल में कह चुके हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दबाव वाली परिसंपत्तियों से निपटने के लिए अलग से बैड बैंक बनाने की जरूरत नहीं है। राजन का यह भी मानना है कि सरकार के स्वामित्व वाले बैड बैंक की संपत्तियों का मामला मूल्य नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक या केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पास फंस सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार बैंकों को डूबत ऋण की वसूली के लिए अधिक अधिकार देने को और कदमों पर विचार कर रही है। इस समस्या पर जल्द नियंत्रण पाया जा सकेगा। सितंबर, 2015 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो मार्च के अंत तक 2.67 लाख करोड़ रुपए था।