नई दिल्ली। खाने के तेल की कीमतों में जल्द कमी आने की उम्मीद है, सरकार ने आज पाम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी है। देश में खाने के तेल की जरूरत को पूरा करने के लिये पाम ऑयल का आयात होता है। शुल्क घटने से तेल का आयात बढ़ने और कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद बन गयी है।
कितनी हुई इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक अधिसूचना में कच्चे पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क को घटाकर 10 प्रतिशत और कच्चे पाम तेल के अलावा अन्य पाम तेल पर 37.5 प्रतिशत कर दिया है। वर्तमान में कच्चे पाम तेल पर 15 प्रतिशत सीमा शुल्क है, जबकि पामोलिन की अन्य सभी श्रेणियों (आरबीडी पाम ऑयल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम स्टीयरिन और क्रूड पाम ऑयल के अलावा किसी अन्य पाम ऑयल) के लिए यह 45 प्रतिशत है। सीबीआईसी ने कहा, "यह अधिसूचना 30 जून 2021 से प्रभावी होगी और 30 सितंबर 2021 तक लागू रहेगी।"
आयातित खाने के तेल में अधिकांश हिस्सा पाम ऑयल
खाने के तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में पाम ऑयल का आयात होता है। कुल आयात होने वाले खाने के तेल में लगभग 60 प्रतिशत हिस्सेदारी पाम ऑयल की होती है। मई के महीने में भारत का पाम तेल का आयात 4 महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया। मई के दौरान पाम तेल का आयात 7.69 लाख टन पर पहुंच गया। भारत पाम आयल की खरीद इंडोनेशिया और मलेशिया से करता है। इंडस्ट्री ने अनुमान दिया था कि लॉकडाउन खत्म होने के साथ तेल की मांग में उछाल देखने को मिल सकता है क्योंकि रेस्टोरेंट और होटल के खुलने से खपत बढ़ेगी। इसी को देखते हुए सरकार ने सप्लाई को बेहतर करने के लिये कदम उठाया है।
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