नई दिल्ली। सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के प्रबंधन के लिए गोल्डमैन सैक्श (इंडिया) सिक्योरिटीज, सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया और नोमुरा फाइनेंशियल एडवाइजरी एंड सिक्योरिटीज इंडिया सहित 10 मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति की है। विनिवेश विभाग की वेबसाइट पर डाले गए एक सर्कुलर के अनुसार, इस विशाल आईपीओ के प्रबंधन के लिए जिन अन्य बैंकरों का चयन किया गया है उनमें एसबीआई कैपिटल मार्केट, जेएम फाइनेंशियल, एक्सिस कैपिटल, बोफा सिक्योरिटीज, जेपी मॉर्गन इंडिया, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी लि.शामिल हैं।
निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने ट्वीट कर कहा कि सरकर ने एलआईसी के आईपीओ के लिए बुक रनिंग लीड प्रबंधकों तथा अन्य सलाहकारों का चयन कर लिया है। विनिवेश विभाग ने मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति के लिए 15 जुलाई को आवेदन मांगे थे। इसके बाद 16 मर्चेंट बैंकरों ने एलआईसी के आईपीओ के प्रबंधन के लिए प्रस्तुतीकरण दिया था। दीपम हिस्सेदारी बिक्री के लिए विधि सलाहकार की नियुक्ति की भी प्रक्रिया में है। इसके लिए बोली भेजने की अंतिम तिथि 16 सितंबर है। बीमांकक कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स एलएलपी की नियुक्ति आईपीओ से पहले एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य निकालने के लिए की गई है। कंपनी का आईपीओ 2022 की जनवरी-मार्च तिमाही में आने की उम्मीद है।
सरकार एलआईसी में विदेशी निवेशकों को निवेश करने की अनुमति देने पर विचार कर रही है। सेबी नियमों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को आईपीओ में शेयर खरीदने की अनुमति है। हालांकि, एलआईसी कानून में विदेशी निवेश का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए विदेशी निवेशकों की भागीदारी के लिए प्रस्तावित एलआईसी के आईपीओ को सेबी के नियमों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।
आर्थिक मालों पर मंत्रिमंडल समिति ने पिछले महीने एलआईसी के आईपीओ को अपनी मंजूरी प्रदान की थी। मंत्रिमंडल समूह अब यह निर्णय लेगा कि सरकार एलआईसी में अपनी कितनी हिस्सेदारी बेचेगी। ऐसा माना जा रहा है एलआईसी के आईपीओ का आकार भारतीय बाजार में आए अभी तक के सभी आईपीओ से कई गुना अधिक होगा।
एलआईसी का आईपीओ सरकार के लिए अपना महत्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष में अबतक सरकार ने पीएसयू में मामूली हिस्सेदारी बेचकर 8368 करोड़ रुपये जुटाये हैं।
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