नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को रखरखाव, मरम्मत और पूर्ण जांच (एमआरओ) गतिविधियों के लिए एक नई नीति की घोषणा की। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इसका उद्देश्य भारत को एमआरओ का वैश्विक केंद्र बनाना है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एमआरओ के संबंध में असैन्य और सैन्य कार्यों के बीच तालमेल पर भी चर्चा चल रही है। एमआरओ गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दिल्ली और कोलकाता सहित आठ हवाई अड्डों का चयन किया है। इस समय ऐसे ज्यादातर काम देश के बाहर किए जाते हैं। पिछले साल मार्च में जीएसटी परिषद ने एमआरओ सेवाओं पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का फैसला किया था। इस मौके पर सिंधिया ने देश के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना की घोषणा की, जिसमें नीतिगत उपायों के साथ ही हवाई अड्डों के विकास से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि योजना 16 क्षेत्रों पर केंद्रित होगी और इसे संयुक्त परामर्श के बाद तैयार किया गया है। इन 16 क्षेत्रों में से आठ नीति से संबंधित हैं और चार का संबंध सुधारों से है। क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान के तहत हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में छह हेलीपोर्ट विकसित किए जाएंगे।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने विमान ईंधन (एटीएफ) पर कर दरों को सुसंगत बनाने पर जोर दिया है। सिंधिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि जेट ईंधन पर कर दरें कम होने से उड़ानें अधिक हो सकेंगी। इसका आर्थिक प्रभाव राज्यों को मूल्य वर्धित कर (वैट) पर मिलने वाले राजस्व की तुलना में ‘50 से 100 गुना’ अधिक होगा। विमानन कंपनियों के परिचालन खर्च में एक बड़ा हिस्सा एटीएफ का होता है। नागर विमानन मंत्रालय एटीएफ पर कर दरों को कम करने की वकालत कर रहा है, जिससे कोरोना वायरस से प्रभावित विमानन उद्योग को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। सिंधिया ने कहा, ‘‘एटीएफ पर वैट के मुद्दे के दो समाधान हैं। प्रत्येक राज्य के पास कर दरों को सुसंगत बनाने के लिए जाया जाए, जिससे सभी को समान अवसर उपलब्ध हो सकें। अभी 8-9 राज्यों में कर की दर एक से चार प्रतिशत है। वहीं अन्य राज्यों में यह चार से 30 प्रतिशत है। यह इतना अधिक है कि कई बार अंतर-राज्य स्तर पर भी इसमें अंतर होता है। कुछ राज्यों के कुछ शहरों में यह भिन्न है।’’ मंत्री ने कहा कि इसका व्यापक प्रभाव होगा। राज्यों को अभी एटीएफ पर काफी कम राजस्व मिलता है। कर दरें कम होने से उड़ानें अधिक आएंगी। जिससे एटीएफ राजस्व की तुलना में राज्यों में ‘50 से 100 गुना’ आर्थिक प्रभाव प्राप्त होगा।
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