नई दिल्ली। खुदरा मुद्रास्फीति के संतोषजनक स्तर से ऊपर होने के मद्देनजर रिजर्व बैंक मंगलवार को गवर्नर रघुराम राजन की आखिर मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है। राजन का तीन साल का कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त हो रहा है। वह संभवत: अपनी आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दर पर पुनर्विचार पहले मानसूनी बारिश के प्रभाव का इंतजार कर सकते हैं। यह आखिरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा होगी जिसमें फैसला गवर्नर करेंगे। इसके बाद 4 अक्टूबर को अगली समीक्षा में व्यापक आधार वाली छह सदस्यीय समिति यह जिम्मेदारी संभालेगी।
पिछले हफ्ते सरकार ने घोषणा की थी कि वह चाहेगी कि रिजर्व बैंक अगले पांच साल तक खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसके आधार पर आने वाले दिनों में ब्याज दर निर्धारित करने वाली नई समिति मौद्रिक नीति संबंधी फैसले करेगी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, हमें उम्मीद है कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि सब्जियों की कीमत बढ़ रही है। सब्जियों की कीमत घटने में कुछ समय लगेगा जबकि खरीफ फसल बाजार में आ जाएगी।
यस बैंक के प्रबंध निदेशक राणा कपूर का हालांकि मानना है कि वृहत्-आर्थिक हालात आरबीआई के लिए नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की गुंजाइश पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्रिटेन समेत विभिन्न देशों में नीतिगत दरें में कम हो रही हैं जिससे केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद बढ़ती है। कपूर ने कहा, अर्थव्यवस्था में कई अनुकूल घटनाक्रम – औसत से बेहतर मानसून, सरकारी प्रतिभूतियों की कमतर दर, उच्च विदेशी मुद्रा भंडार, राजकोषीय और चालू खाते का घाटा सीमित दायरे में रहना – नीतिगत दर में कम से कम 0.5 प्रतिशत की कटौती की गुंजाइश प्रदान करते हैं। लंबे समय तक सख्त मौद्रिक नीति अपनाने के लिए आलोचना के शिकार राजन ने पिछले साल जनवरी से अब तक ब्याज दर में 1.5 प्रतिशत की कटौती की है। उसके बाद से वह बैंकों को नीतिगत दर में हुई कटौती का फायदा देने के लिए प्रेरित करते रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि नकद आरक्षित अनुपात :सीआरआर: में भी बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि नकदी पर्याप्त है। एक सरकारी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, इस समीक्षा में कुछ भी नहीं बदलने वाला क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति का स्तर वहां तक नहीं पहुंचा है जितना आरबीआई चाहता था। बाजार ने पहले ही मान लिया है कि इस बार नीतिगत दर में कटौती नहीं होनी है। उन्होंने कहा, प्रणाली में नकदी पर्याप्त है इसलिए सीआरआर में बदलाव नहीं होगा। एक अन्य वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि गवर्नर की पिछली नीतिगत समीक्षा के मुकाबले कोई बदलाव नहीं होना है और ब्याज दर में कटौती की संभावना नहीं है।