नयी दिल्ली। सरकार ने रविवार को कहा कि कंपनी कानून को सरल बनाने और जेल के कुछ प्रावधानों को हटाने के बाद से 14,000 से अधिक मामलों में मुकदमे की कार्रवाई वापस कर ली गई है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कारोबार को सुगम बनाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने कंपनियों और एलएलपी के नाम को आरक्षित कराने और उनके शीध्र गठन के लिए एक केंद्रीय पंजीयन केंद्र की स्थापना की।
सरकार की मंशा है कि देश में कारोबार करने वालों के लिए कंपनी बनाने में एक-दो दिन से ज्यादा का वक्त नहीं लगे। पहले इस काम में 15 दिन लगते थे। मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा, "पिछले तीन सालों के दौरान देश में हर साल 1,25,000 से अधिक कंपनियों का इस तरह से गठन किया गया है। इससे पूर्व यह औसत 50-60,000 का था। सरकार ने गैर-सूचीबद्ध सरकारी कंपनियों की प्रतिभूतियों को डीमैट कराने की पारदर्शी एवं भेदभाव मुक्त व्यवस्था बनाई है।
मंत्रालय ने कहा है कि "कंपनी अधिनियम 2013 के तहत दर्ज कराये गए 14,000 से ज्यादा मुकदमों को वापस लिया गया है। इसके अलावा कुछ और मामलों में जेल के प्रावधानों को हटाने के लिए दूसरे चरण का भी काम शुरू कर दिया गया है।