नई दिल्ली। 16 जनवरी को प्रधानमंत्री एक नई योजना र्स्टाटअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया की शुरुआत करने वाले हैं और विडंबना देखिए कि भारत सरकार अभी भी स्टार्टअप शब्द को लेकर संशय में है। वास्तव में, पिछले कुछ सालों में, विशेषकर इंटरनेट, स्मार्टफोन ओर टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर उपयोग बढ़ने के बाद नई कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है, रोज नए आइडिया आ रहे हैं और मौजूदा मल्टी नेशनल डाइवर्सीफाइड कंपनियां भी इस नई टेक्नोलॉजी में अपने आप को परिवर्तित कर रही हैं। इससे स्टार्टअप शब्द को लेकर अस्पष्टता और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, इसलिए भारत सरकार इस संशय को स्पष्ट करना चाहती है।
16 जनवरी को लॉन्च होने वाले स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया कार्यक्रम से पहले सरकार चाहती है कि वह यह स्पष्ट कर दे कि वास्तव में एक स्टार्टअप क्या है। सरकार ये भी तय करना चाहती है कि कौन सी कंपनियां इस परिभाषा की श्रेणी में आ सकती हैं। जैसी रिपोर्ट आ रही हैं, उनके मुताबिक मौजूदा कॉरपोरेशन से अलग होकर बनाई गई कंपनियां या जो पांच साल से संचालित हैं और जिनका सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपए है, उन्हें स्टार्टअप नहीं माना जाएगा।
इसके अलावा वो कंपनियां, जो सरकार द्वारा प्रायोजित इनक्यूबेटर्स के तहत गठित की गई हैं, और/या सरकार की विशेष योजनाओं के तहत गठित की गई हैं स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया कार्यक्रम में प्रस्तावित लाभ पाने की हकदार नहीं होंगी। सरकार के इस कदम से उन कंपनियों को निराशा हाथ लगेगी जो कि पहले सरकार से छोटी सहयता हासिल कर रही थीं या वो जो पिछले पांच साल से चल रही हैं, लेकिन अभी भी उनका ट्रांजैक्शन बहुत कम है और उनकी पहुंच भी बहुत कम है।
स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया: क्या ये भारत में आंत्रप्रेन्योरशिप को परिभाषित कर पाएगा?
अपने 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत सरकार देश में स्टार्टअप की मदद के लिए जल्द ही एक स्पेशल कार्यक्रम लॉन्च करेगी। उन्होंने तब एक स्पेशल फंड बनाने के साथ अन्य कई वादे भी किए थे। 16 जनवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली इस कार्यक्रम को आधिकारिक तौर पर लॉन्च करेंगे। इस कार्यक्रम के लिए तकरीबन 1500 आंत्रप्रेन्योर्स, मेंटर्स, इन्वेस्टर्स को आमंत्रित किया गया है। इस कार्यक्रम में सॉफ्टबैंक के संस्थापक और सीईओ मासायोशी सोन, उबर के संस्थापक ट्राविस कालानिक और वीवर्क के संस्थापक एडम नूमैन को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया है।
स्टैंडअप इंडिया विजन के तहत एक स्पेशल फंड स्थापित किया जाएगा, जिससे ऐसे महिला और एससी आंत्रप्रेन्योर्स की मदद की जाएगी, जो स्टार्टअप शुरू करने की इच्छा रखते हैं। कैबिनेट ने हाल ही में इसके लिए 8000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित करने को अपनी मंजूरी दी है, जिसके जरिये इस स्पेशल कैटेगरी के आंत्रप्रेन्योर्स को लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इस 8000 करोड़ रुपए के फंड में से 3000 करोड़ रुपए मुद्रा क्रेडिट गारंटी फंड के तहत हेज फंड के रूप में उपयोग होंगे, जिसका उपयोग छोटे आंत्रप्रेन्योर्स को दिए गए 50 हजार से 10 लाख रुपए के लोन को डिफॉल्ट के विरुद्ध होगा। 5000 करोड़ रुपए स्टैंडअप इंडिया सीजीएफ का उपयोग 10 लाख से एक करोड़ रुपए के लोन गारंटी के तौर पर उपयोग होगा, जो 2.5 लाख एससी, एसटी और महिला एंत्रप्रेन्योर्स को दिया जाएगा।
यहां रोचक बात ये हैं कि स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया लॉन्च कार्यक्रम में सॉफ्टबैंक के सीईओ को आमंत्रित किया जाएगा, लेकिन बी2सी ई-कॉमर्स में एफडीआई को लेकर सरकार अभी भी अंधेरे में है। स्टार्टअप की परिभाषा के अलावा हमें पॉलिसी फ्रेमवर्क में बड़े सुधार की जरूरत है। हमें संस्कृति और शिक्षा में ऐसे बदलाव की आवश्यकता है, जिससे हम अपने बच्चों को आंत्रप्रेन्योरशिप के बारे में उचित शिक्षा दे सके। देश में ऐसा बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर हो जिससे टेक्नोलॉजी और इन्नोवेशन को सपोर्ट किया जा सके।