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चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की दिशा में पहल मुश्किल: सूत्र

महामारी की वजह से बेहतर मूल्यांकन न मिलने की आशंका

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 14, 2020 16:37 IST
privatisation of PSB- India TV Paisa
Photo:PTI

privatisation of PSB

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के किसी भी बैंक में निजीकरण की दिशा में पहल होने की संभावना बहुत कम है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना वायरस संकट के चलते शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव और संपत्तियों के कम मूल्यांकन के साथ ही बैंकों की फंसी संपत्ति में वृद्धि को देखते हुए ये इस दिशा में कदम उठाने की संभावनाएं घट गई हैं। फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंक आरबीआई की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा के अंतर्गत हैं। इसके कारण उन पर कर्ज देने, प्रबंधन क्षतिपूर्ति और निदेशकों के शुल्क समेत कई प्रकार की पाबंदियां हैं। सूत्रों ने कहा कि ऐसे में इन बैंकों इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को बेचने का कोई मतलब नहीं है। मौजूदा हालात में निजी क्षेत्र से कोई भी इन्हें लेने को इच्छुक नहीं होगा। उसने कहा कि सरकार रणनीतिक क्षेत्र की इन इकाइयों को संकट के समय जल्दबाजी में नहीं बेचना चाहेगी।

सूत्रों ने कहा कि किसी बैंक की पूरी बिक्री तो छोड़िये किसी सरकारी बैंक में शायद ही हिस्सेदारी बिक्री के लिये कदम उठाया जाएगा। इसका कारण इस समय इनका सही मूल्यांकन होना मुश्किल है। उसने यह भी कहा कि अनिवार्य नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिये लगातार पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से ऊपर निकल गयी है। सूत्रों ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने न केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सुधार की प्रक्रिया को रोका है बल्कि इसका निजी क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ने जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने पिछले सप्ताह बैंकों के निजीकरण का संकेत दिया। निजीकरण की नीति के बारे में उन्होंने कहा कि बैंक रणनीतिक क्षेत्र का हिस्सा होगा और सरकार रणनीतिक तथा गैर-रणनीतिक क्षेत्रों को चिन्हित करने की दिशा में काम कर रही है। सरकार पिछले कुछ साल से सरकारी बैंकों के सुदृढीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। बड़े स्तर पर एकीकरण की प्रक्रिया इस साल अप्रैल में पूरी हुई। इसके तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में तथा इलाहबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय हुआ। इससे पहले, एक अप्रैल 2019 को विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हुआ था। इस विलय प्रक्रिया के बाद अब सार्वजनिक क्षेत्र के सात बड़े और पांच छोटे बैंक बचे हैं। वहीं 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक थे।

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