नई दिल्ली। सरकार डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) में कटौती पर विचार कर रही है। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार ये फैसला ले सकती है। बीते हफ्ते रिजर्व बैंक ने एक अप्रैल से डेबिट कार्ड भुगतान पर एमडीआर शुल्क में भारी कटौती का प्रस्ताव किया था। इससे नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की रफ्तार को कायम रखा जा सके, विशेषरूप से छोटे दुकानदारों के लिए।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने कहा कि हम डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन दे रहे हैं। हमारा मकसद एमडीआर शुल्क को नीचे लाना है। इसके अलावा यदि मात्रा के हिसाब से लेनदेन बढ़ता है, तो एमडीआर शुल्क नीचे आएगा।
कान्त ने हाल में डेबिट कार्ड लेनदेन पर एमडीआर को तर्कसंगत बनाने संबंधी हालिया सर्कुलर के मसौदे पर कहा कि हम रिजर्व बैंक के इस सर्कुलर की समीक्षा कर रहे हैं। एमडीआर दरों को नीचे लाना चुनौती है। हम इस चुनौती को पूरा करेंगे।
केंद्रीय बैंक ने 20 लाख रुपए सालाना कारोबार वाले छोटे कारोबारियों और बीमा, म्युचुअल फंड, शिक्षा संस्थान व सरकारी अस्पताल जैसे विशेष श्रेणी के मर्चेंट हेतु एमडीआर शुल्क सौदा मूल्य का 0.40 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया है।
- केंद्रीय बैंक ने डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए एमडीआर को युक्तिसंगत बनाने के बारे में मसौदा परिपत्र जारी किया है।
- डेबिट कार्ड के जरिए भुगतान आदि पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट एमडीआर शुल्क लगाया जाता है।
- इस समय 2000 रपये तक के लेनदेन पर अधिकतम 0.75 प्रतिशत एमडीआर लगता है जबकि 2000 रुपए से उपर की राशि पर यह दर एक प्रतिशत है।
- क्रेडिट कार्ड भुगतान पर एमडीआर पर रिजर्व बैंक ने कोई सीमा तय नहीं की है।