नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री मनसुख एल मांडविया ने कहा है कि पोत परिवहन मंत्रालय घरेलू कंपनियों को बंदरगाहों पर माल के रखरखाव में इस्तेमाल होने वाले क्रेन के विनिर्माण को लेकर प्रोत्साहन देगा, ताकि इसके आयात पर अंकुश लगे। फिलहाल सालाना 1,000 करोड़ रुपये मूल्य के क्रेन का आयात किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया भर के शिप रीसाइक्लिंग कारोबार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने की दिशा में काम जारी है। पोत परिवहन मंत्री ने कहा कि इन प्रयासों का मकसद बंदरगाहों से जुड़े उद्योगों को सुदृढ़ करना और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत युद्धक एवं अन्य जहाजों के रीसाइक्लिंग के लिये देश को प्रमुख केंद्र बनाना है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 200 करोड़ रुपये की वैश्विक निविदाओं को हाल ही में रद्द किया गया है। मांडविया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘हम बंदरगाह आधारित उद्योगों और औद्योगीकरण के जरिये आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आक्रामक तरीके से काम करेंगे। हम जहाजों की मरम्मत और रीसाइक्लिंग सुविधाओं को मजबूत बनाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी के तहत हमने बंदरगाहों पर कार्गो के रखरखाव को लेकर भारत में बने क्रेन खरीदने का निर्णय किया है। अबतक भारत सालाना करीब 1,000 करेाड़ रुपये मूल्य का क्रेन आयात करता रहा है।’’
मंत्री ने यह भी कहा कि अबतक यहां क्रेन का विनिर्माण नहीं होता था, लेकिन भारतीय कंपनियां इसे ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वतंत्र रूप से या फिर संयुक्त उद्यम के जरिये बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हम बंदरगाह ढांचागत सुविधा के विकास, जेटी, टर्मिनल निर्माण और क्रूज टर्मिनल में भी आत्मनिर्भर होने पर ध्यान दे रहे हैं। मांडविया ने कहा कि इससे कुशल कामगारों की संख्या बढ़ेगी, जिससे रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। अगले दो साल में पोत मरम्मत का काम दोगुना करने की योजना है। फिलहाल भारत सालाना करीब 1,200 जहाजों की मरम्मत करता है।’’ मंत्री ने कहा कि देश दुनिया भर के शिप रीसाइक्लिंग कारोबार में करीब 60 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में भी प्रयास करेगा। अगले दो साल में हमारी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी, जो अभी 40 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा शिपयार्ड गुजरात का अलंग रीसाइक्लिंग के लिये बढ़ी हुई संख्या में आने वाले पोतों को सेवा देने के लिये तैयार है।
वैश्विक पोतों की रीसाइक्लिंग में भारत, बांग्लादेश, चीन और पकिस्तान की हिस्सेदारी करीब 90 प्रतिशत है। मंत्री ने कहा कि इसके अलावा हम समुद्री नाविकों की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं। दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा होने के बावजूद समुद्री नाविकों के मामले में हमारी हिस्सेदारी केवल 7 प्रतिशत है। दूसरी तरफ फिलीपींस जैसे देशों में दुनिया की केवल 2 प्रतिशत आबादी है, जबकि वैश्विक नाविक हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘2014 में समुद्री नाविकों की संख्या 94,000 थी, जो अब बढ़कर 2.4 लाख हो गयी है। हम अगले पांच साल में इसे बढ़ाकर 5 लाख करना चाहते हैं।’’