नयी दिल्ली। सरकार ने डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए मेगाप्लान बनाया है। इसके तहत सरकार की योजना लगभग साढ़े पांच लाख गांवों में मार्च 2019 तक वाईफाई सुविधा उपलब्ध कराने की है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3700 करोड़ रुपये है। दूरसंचार सचिव अरूणा सुंदरराजन ने एक साक्षात्कार में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ढाई लाख ग्राम पंचायतों में मार्च 2019 तक वाईफाई सुविधा के लिए टेंडर सितंबर महीने में जारी होने की संभावना है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर हम हर ग्राम पंचायत में वाईफाई सुविधा उपलब्ध करवाते हैं तो वास्तव में 5.5 लाख गांवों को मोबाइल ब्राडबैंड की सुविधा मिल सकेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक लगभग एक लाख ग्राम पंचायतों में 1000 एमबीपीएस स्पीड की ब्राडबैंड सेवा शुरू हो जाएगी।
पहले सरकार ग्राम पंचायतों को 100 एमबीपीएस की स्पीड वाले ब्राडबैंड से जोड़ना चाहती थी लेकिन नयी भारतनेट परियोजना में हर ग्राम पंचायत स्तर पर प्रस्तावित ब्राडबैंड की स्पीड दस गुना बढाकर एक जीबीपीएस कर दी गई है। सुंदरराजन ने कहा, एक लाख ग्राम पंचायत में वाईफाई में भारतनेट सेवा का इस्तेमाल होगा। बाकी 1.5 लाख पहले दिन से ही भारतनेट से नहीं जुड़े होंगे। बाद में हम सभी वाईफाई को भारतनेट से जोड़ देंगे। जहां तक एक जीबीपीएस डाउन स्पीड का मतलब है कि उपयोक्ता किसी बालीवुड फिल्म को केवल दो सेकंड में डाउनलोड कर सकेगा।
सचिव ने कहा कि सभी के लिए इंटरनेट सेवा के सरकार के नये लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारतनेट बहुत ही मायने रखती है। इसके कार्यान्वयन की गति को बीते एक महीने में लगभग सात गुना बढाया गया है। उन्होंने कहा कि पहले हम हर दिन लगभग 150 संस्थापन कर रहे थे लेकिन अब हम हर दिन 800 इलेक्ट्रोनिक उपकरण लगा रहे हैं। सरकार भारतनेट को मार्च 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। नयी दूरसंचार नीति के तहत सरकार लगभग 40,000 गांवों को कनेक्ट करने पर ध्यान केंद्रित करेगी और 2022 तक 70 करोड़ लोगों को नियमित इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराएगी।
दूरंसचार मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के अनुसार छह सितंबर तक 33,430 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सेवा शुरू कर दी गई है। जुलाई 2017 तक की बात की जाए तो 1,00,299 ग्राम पंचायतों के लिए 2,21,925 किलोमीटर लंबी आप्टिकल फाइबर केबल ओएफसी बिछाई जा चुकी है। सुंदरराजन ने कहा कि सरकार एक लाख ग्राम पंचायतों में ओएफसी बिछ चुकी है और ब्राडबैंड सेवाएं शुरू करने के लिए अब इलेक्ट्रानिक उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं।