नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में की गयी रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी से चालू वित्त वर्ष में सरकार को 1.6 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है। इससे सरकार को कोरोना वायरस संकट के चलते लॉकडाउन (बंद) से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलने की उम्मीद है। मंगलवार देर रात सरकार ने पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये बढ़ा दिया। हालांकि इस शुल्क बढ़ोत्तरी के बावजूद पेट्रोल के दाम 71.26 रुपये प्रति लीटर और डीजल के 69.39 रुपये प्रति लीटर पर अपरिवर्तित बने रहे।
सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने 16 मार्च से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखा है। कंपनियों ने तेल कीमतों में आई गिरावट की वजह से ड्यूटी का भार ग्राहकों को ऊपर नहीं डाला है। ब्रेंट कच्चा तेल की कीमत 18 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गयी थी जो 1999 के बाद का सबसे निचला स्तर था। इससे क्रूड बिल का भार काफी घट गया है।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने कहा कि उत्पाद शुल्क में इस बढ़ोत्तरी से ईंधन का खुदरा कारोबार कर रही पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के मार्जिन में 64 प्रतिशत की कमी आएगी। पांच मई को यह 19 रुपये प्रति लीटर था लेकिन शुल्क वृद्धि के बावजूद कीमत नहीं बढ़ने से सकल मार्जिन का अनुपात छह मई को घटकर 6.9 रुपये प्रति लीटर रह गया। इस बारे में रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कॉरपोरट वित्त पोषण) विकास हालन ने कहा कि यदि साल भर इस शुल्क बढ़ोत्तरी को बरकरार रखा जाता है तो पेट्रोल पर 21 डॉलर प्रति बैरल और डीजल पर 27 डॉलर प्रति बैरल का कर बढ़ाने से सरकार को 21 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।