मुंबई। सरकार खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमन उदार करेगी ताकि इस क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जा सके। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस क्षेत्र ने 8.7 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है। औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के संयुक्त सचिव राजीव अग्रवाल ने उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित ‘वर्ल्ड आफ फूड इंडिया’ सम्मेलन के मौके पर कहा, ‘‘हमें पहले ही खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 8.7 अरब डॉलर का निवेश मिला है। हम अड़चनों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में विदेशी निवेश आकर्षित करने की काफी क्षमता है।’’
उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां और निवेशकों को कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें अब दूर किया गया है। इनसे क्षेत्र में कारोबार सुगमता की स्थिति बनेगी। फिलहाल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विनिर्माण इकाई लगाने के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में थोक कारोबार के लिए भी कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार जल्द नई औद्योगिक नीति की घोषणा करने जा रही है। प्रस्तावित नीति में नई प्रौद्योगिकियों मसलन कृत्रिम मेधा और ‘इंटरनेट आफ थिंग्स’ (आईओटी) के इस्तेमाल पर जोर होगा जिससे देश में निवेश के नए रास्ते खुलेंगे।
अग्रवाल ने कहा कि हमें उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए नई प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला तंत्र में निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि खेत से खाने की मेज तक उद्योग में काफी बर्बादी होती है। हम नष्ट होने वाले उत्पादों में सिर्फ सात प्रतिशत का प्रसंस्करण करते हैं, जबकि अमेरिका में 65 प्रतिशत, चीन में 23 प्रतिशत और फिलिपीन में 78 प्रतिशत उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाता है।