नई दिल्ली। कंपनियों के लिए सदी पुराने दिवाला कानून में आमूलचूल बदलाव के बाद सरकार अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए नया दिवाला कानून लाने जा रही है। इसके तहत किसी ठप इकाई की परिसंपत्तियों पर पहला अधिकार जमाकर्ताओं का हो सकेगा। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि नए कानून का मसौदा तैयार किया जा रहा है और इससे दबाव वाले बैंकों, सूक्ष्म वित्त संस्थानों तथा एनबीएफसी को यथाशीघ्र बंद करने में मदद मिलेगी और साथ ही छोटे जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण भी किया जा सकेगा।
सिन्हा ने कहा, हम वित्तीय कंपनियों में दिवाला के निपटान के लिए अतिरिक्त कानून लाने पर विचार कर रहे हैं। पिछले महीने संसद ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2015 को पारित किया था। इसका मकसद किसी मरणासन्न कंपनी को बंद करने में लगने वाले समय को कम करना और डिफाल्टरों से बकाया वसूल करना है। सिन्हा ने कहा कि घाटे वाले कंपनियों को बंद करने की अक्षमता तथा बकाया वसूली न हो पाने की वजह से बैंकों का कोष फंसा रहता है जिससे ऋण और निवेश प्रभावित होता है। सिन्हा ने कहा कि फिलहाल सरकार इस कानून को परिचालन में लाने के लिए ढांचा बना रही है।
वित्त राज्यमंत्री ने कहा, वित्तीय कंपनियों के पास जमाकर्ताओं का पैसा भी होता है। ऐसे में हम उचित तरीके से वित्तीय कंपनियों को बंद करने को एक उचित निपटान प्रक्रिया पेश करने जा रहे हैं। यह एक नया कानून होगा। उन्होंने कहा, हम इस पर भी काम कर रहे हैं। ऐसे में यह काफी हद तक बुनियादी सुधार होगा। यह निपटान और दिवाला प्रक्रिया के बारे में होगा। सिन्हा ने कहा कि यह नया कानून वित्तीय संस्थानों मसलन बैंक, एनबीएफसी तथा अन्य उन वित्तीय संस्थानों के लिए होगा जिनके पास जमाकर्ताओं का पैसा जमा है।