नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि वह एथनॉल की कीमत को बाजार केंद्रित कीमत प्रणाली से जोड़ेगी जहां इसके कीमत अंतरराष्ट्रीय रूख के हिसाब से तय होंगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जैव ईंधन पर एक सम्मेलन के अवसर पर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, हम कीमत को बाजार गतिकी से जोड़ना चाहते हैं। सरकार बाजार गतिकी कीमत प्रणाली की तरफ बढ़ेंगे। गौरतलब है कि कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दिसंबर 2014 में एथनॉल की कीमत 48.50-49.50 रुपए प्रति लीटर तय की थी। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण के लिए चीनी मिलों से एथनॉल खरीदती हैं। यह दर पेट्रोलियम उत्पादन की मौजूदा लागत से लगभग 20 फीसदी अधिक है।
प्रधान ने कहा कि फिलहाल पेट्रोल में दस प्रतिशत एथनॉल मिलाया जा रहा है। यह एथनॉल गन्ने से निकाला जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और दिल्ली में 10 फीसदी एथनॉल मिलाया जा रहा है जबकि बाकी स्थानों पर पेट्रोल में पांच प्रतिशत एथनॉल मिलाया जा रहा है। इसी तरह डीजल गैर खाद्य तेल (जैव डीजल) का मिश्रण इसी वित्त वर्ष से शुरू हो जाएगा। इसके लिए 11 करोड़ लीटर का ठेका दिया जा रहा है।
प्रधान ने कहा कि भारत की ईंधन मांग में उछाल आने की उम्मीद के बीच एथेनाल व जैव इंधन बाजार 6500 करोड़ रुपए से बढ़कर अगले कुछ साल में एक लाख करोड़ रुपए हो सकता है। उन्होंने कहा कि 5-6 फीसदी की सामान्य ईंधन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए 2022 तक 23000 करोड़ रुपए मूल्य का 450 करोड़ लीटर एथनॉल व 27000 करोड़ रुपए मूल्य के 675 करोड़ लीटर जैव डीजल की जरूरत होगी।