नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था में नकदी की समस्या के समाधान को लेकर ढांचागत क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिये प्रयास कर रही है। सड़क, परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) मंत्री ने यह भी कहा कि विभिन्न पेंशन कोष, बीमा कोष और वित्तीय संस्थानों के साथ बातचीत जारी है। देश में सड़क विकास पर आयोजित वेबिनार (इंटरनेट के माध्यम से होने वाला सेमिनार) में गडकरी ने कहा, ‘‘ढांचागत क्षेत्र आर्थिक रूप से सर्वाधिक व्यवहारिक उद्योग है। परियोजना पर आंतरिक प्रतिफल की दर बहुत अच्छी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम ढांचागत क्षेत्र में एफडीआई हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि इसमें 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। हम बीमा कोष, पेंशन कोष आदि को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हम विश्वबैंक, एशियाई विकास बैंक के साथ भी बातचीत कर रहे हैं हम इस दिशा में तेजी से कदम उठा रहे हैं।’’ मंत्री ने निजी कंपनियों से सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह करते हुए कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है और नकदी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें कोविड-19 संकट को अवसर में बदलना चाहिए क्योंकि दुनिया अब यह मान रही है कि भारत निवेश के लिहाज से बेहतर है। सरकार ने परियोजनाओं के मामले में नीतिगत फैसला किया है। इसके तहत परियोजना की पेशकश तभी की जाएगी जब 90 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण और वन तथा पर्यावरण जैसे नियामकीय मंजूरी मिल गयी हो।
गडकरी ने कहा, ‘‘ढांचागत क्षेत्र में हम अधिकतम निवेश हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। आज राजमार्ग, बिजली, परिवहन, जल, संचार और अन्य क्षेत्रों में काफी अवसर हैं।’’ उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र को आगे बढ़ाये बिना औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन संभव नहीं है। मंत्री ने लॉजिस्टक लागत में भी कमी लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से दो महानगरों के बीच यात्रा समय में कमी आएगी। इससे माल पहुंचाने कर लागत कम होगी। उन्होंने कहा, ‘‘वैकल्पिक ईंधन और बिजली के क्षेत्र में भी काफी अवसर है। मंत्री ने कहा कि अगले दो साल में 15 लाख करोड़ रुपये मूल्य के राजमार्ग के निर्माण का लक्ष्य है।