नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को कहा कि 40,000 करोड़ रुपए के नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) की स्थापना की जा चुकी है और इसके चीफ एग्जीक्यूटिव का चयन जनवरी अंत तक कर लिया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि रूस, सिंगापुर, यूके और यूएई के विभिन्न सॉवरेन फंड्स और पेंशन फंड्स ने एनआईआईएफ में हिस्सेदारी करने की रुचि दिखाई है और विभिन्न स्तर पर इसमें अपना सहयोग करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इसके सीईओ का चयन अगले कुछ हफ्तों में कर लिया जाएगा।
एनआईआईएफ गवर्निंग काउंसिल के सूत्रों ने बताया कि सीईओ की नियुक्ति जनवरी के अंत तक की जाएगी। इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड को छह माह के लिए इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया गया है और आईडीबीआई कैपिटल मार्केट सर्विसेस लिमिटेड को एक साल के लिए एनआईआईएफ ट्रस्टी लिमिटेड का एडवाइजर बनाया गया है। जेटली ने बताया कि एनआईआईएफ गवर्निंग काउंसिल की अगली बैठक मार्च में होगी, जिसमें समीक्षा कर ये देखा जाएगा कि किन-किन फंड्स ने इसमें हिस्सेदारी की है।
एनआईआईएफ में सरकार बजट से 20,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी, अन्य 20,000 करोड़ रुपए का निवेश प्राइवेट निवेशकों से मिलने की उम्मीद है। बाजार नियामक सेबी ने एनआईआईएफ की स्थापना को अपनी मंजूरी दी है। 28 दिसंबर 2015 को ये सेबी के साथ कैटेगरी 2 अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) के तौर पर रजिस्टर्ड हुआ है। एनआईआईएफ ग्रीनफील्ड, ब्राउनफील्ड और अटके प्रोजेक्ट्स में निवेश करेगी। वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर में एनआईआईएफ के लिए सीईओ के लिए एक सर्च कम सिलेक्शन कमेटी का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास हैं। इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी एनआईआईएफ संपत्ति के निवेश से जुड़े फैसले लेने के लिए जिम्मेदारी होगी। इस संपत्ति में सरकार की हिस्सेदारी 49 फीसदी से अधिक नहीं होगी। जुलाई में कैबिनेट ने एनआईआईएफ के गठन को अपनी मंजूरी दी थी। एनआईआईएफ गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं। इसके सदस्यों में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास, वित्तीय सेवा सचिव अंजलि छिब दुग्गल और एसबीआई चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य समेत अन्य लोग शामिल हैं।