नई दिल्ली। केंद्र सरकार का सार्वजनिक ऋण जुलाई-सितंबर तिमाही में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 2.53 प्रतिशत बढ़कर 65.65 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। जुलाई-सितंबर, 2017 के लिए सार्वजनिक ऋण प्रबंधन पर तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार का सार्वजनिक ऋण (सार्वजनिक खाते के तहत देनदारियों को छोड़कर) सितंबर में समाप्त तिमाही में अस्थायी रूप से बढ़कर 65,65,652 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो जून, 2017 के अंत तक 64,03,138 करोड़ रुपए था।
सितंबर के अंत तक सार्वजनिक ऋण में आंतरिक कर्ज का हिस्सा 93 प्रतिशत था। वहीं सार्वजनिक ऋण में विपणनयोग्य प्रतिभूतियां 82.6 प्रतिशत थीं। कुल बकाया में से 27.8 प्रतिशत स्टॉक की शेष परिपक्वता अवधि सितंबर, 2017 के अंत तक करीब पांच साल थी। इसका मतलब है कि अगले पांच साल के दौरान औसतन प्रत्येक वर्ष 5.56 प्रतिशत बकाया स्टॉक के भुगतान की जरूरत होगी।
रिपोर्ट कहती है कि इसका मतलब है कि ऋण पोर्टफोलियो में इसे आगे ले जाने का जोखिम कम रहेगा। दूसरी तिमाही के दौरान सरकार ने 1.89 लाख करोड़ रुपए की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की, जो पहली तिमाही के 1.68 लाख करोड़ रुपए से अधिक हैं। इस तरह 2017-18 की पहली छमाही में कुल कर्ज 3.57 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो बजट अनुमान का 61.68 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कुल ऋण बजट अनुमान का 56.8 प्रतिशत था।