नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना इसका उल्लंघन नहीं है। सरकार ने कहा है कि देश की संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े ‘बेहद गंभीर अपराध’ वाले संदेशों को रोकने या उसकी जांच के लिए ही उनके मूल स्रोत की जानकारी मांगी जायेगी।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बयान में कहा कि अंतिम समय में व्हॉट्सएप द्वारा सरकार के दिशानिर्देशों को चुनौती देना नियमों को प्रभाव में आने से रोकने का दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा में सोशल मीडिया कंपनियों को उनमें कानूनी तौर पर हस्तक्षेप की अनुमति देनी होती है। ‘‘भारत जो मांग रहा है वह कुछ अन्य देशों में की जा रही मांग की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है।’’ बयान में कहा गया है कि ऐसे में व्हॉट्सएप का मध्यवर्ती दिशानिर्देशों को निजता के अधिकार में हस्तक्षेप बताना मामले को गुमराह करने वाला है।
व्हॉट्सएप ने सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसके जवाब में केंद्र ने यह प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने कहा कि निजता का अधिकार बुनियादी अधिकार है। सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। बयान में आगे बताया गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है। लेकिन इसके साथ ही सरकार का यह भी दायित्व है कि वह कानून- व्यवस्था बनाये रखे और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने जिन भी उपायों का प्रस्ताव किया है उससे व्हॉट्सएप का सामान्य कामकाज प्रभावित नहीं होगा। साथ ही इससे आम प्रयोगकर्ता पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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