नई दिल्ली| रेलमंत्री पीयूष गोयल ने आंदोलनरत किसानों के मसले के समाधान को लेकर सरकार के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार फिर से किसान यूनियनों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान यूनियन अगर कोई नया प्रस्ताव लेकर आए तो सरकार फिर से वार्ता शुरू कर सकती है। गोयल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार बातचीत के जरिए मसले का समाधान करना चाहती है और इसके लिए किसान यूनियनों को एक के बाद एक प्रस्ताव दिए गए हैं।
नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन की राह पकड़े किसानों की अगुवाई करने वाले यूनियनों के नेताओं के साथ 10 दौर की मंत्रिसमूह की वार्ताओं में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा, "किसानों के मसले को लेकर मोदी सरकार संवेदनशील है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं और पूरी सरकारी बातचीत के जरिए मसले का समाधान करने को तैयार हैं।"
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर है, लेकिन इसके लिए किसी को पहल तो करनी होगी। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि किसानों को अगर नए कानूनों से कोई आपत्ति है तो वे बताएं, उसका समाधान करने के लिए सरकार तैयार है। उन्होंने कहा कि किसानों को कुछ मसलों को लेकर गुमराह किया जा रहा है। गोयल ने कहा कि कुछ लोग किसानों के मन में आशंकाएं पैदा करके उनको गुमराह करने में सफल रहे हैं।
उन्होंने कहा, "किसान भ्रमित हैं और सरकार उनके भ्रम को दूर करना चाहती है। हमने किसानों के मसले समाधान के लिए एक के बाद एक प्रस्ताव दिए, मगर मुझे मीडिया रिपोर्ट में सुनने को मिलता है 'तारीख पे तारीख' जो गलत है। इसलिए कहा तो यह जाना चाहिए कि केंद्र सरकार ने 'प्रस्ताव के बाद प्रस्ताव' दिया।" गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को लालकिले पर हुए हुड़दंग मचाने की घटना की निंदा करते हुए गोयल ने कहा, "इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बावजूद हमारा मानना है कि बातचीत के जरिए इसका (किसानों के मसले) समाधान बातचीत के जरिए अवश्य होना चाहिए और सरकार ने 18 महीने के लिए कानून के अमल पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन हमें किसानों की तरफ से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार लोगों के फायदे के लिए विधेयक लाती हैं। ये कृषि कानून भी करोड़ किसानों, खासतौर से देश के छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लागू किए गए और देशभर के किसानों ने इन कानूनों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कानून देशभर के किासानों के फायदे के लिए बनाए गए हैं और उनको कानूनों के लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।