नयी दिल्ली। सरकार ने फर्मों के बीच (बी2बी) कारोबार में फर्जी बिल बनाए जाने के रुझानों पर चिंता जताई है और उसका कहना है कि इससे माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली प्रभावित हो रही है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि फर्मों का आपसी कारोबार में मूल्य कम दिखाना सरकार के लिये बड़ी चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा कि इससे पार पाने की जिम्मेदारी उद्योग जगत की भी है।
कारोबारियों के बीच खरीद बिक्री में फर्जी बिल की समस्या के विषय में ठाकुर ने कहा, 'यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसमें उद्योग को भी अहम भूमिका निभानी चाहिये। जीएसटी के तहत हमें काफी नकली बिलों का आदान प्रदान देखने को मिल रहा है और यह काम एक फर्म का दूसरे फर्म के साथ कारोबार के बीच में हो रहा है।' ठाकुर यहां कंजूमर इलेक्ट्रानिक्स एण्ड एपलायंसिज मैन्युफैक्चरर्स एसोसियेसन के सालाना कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे जिसमें उन्होंने इलेक्ट्रानिक कचरे के निस्तारण की बढ़ती समस्या का निदान निकालने पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा, 'इस मामले में फर्म से उपभोक्ता के बीच बिक्री (बी2सी) की कहानी दूसरी है। बी2बी में हम कई फजी बिल अथवा चालान देख रहे हैं जो कि जीएसटी संग्रह बढ़ाने के मामले में एक बाधा बना हुआ है।' वित्त राज्य मंत्री ने उद्योग जगत को आश्वासन भी दिया कि सरकार पूरी प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाएगी। इस संबंध में उन्होंने हाल में पेश की गई ऑनलाइन आयकर आकलन व्यवस्था का भी जिक्र किया। जिसमें करदाता और कर अधिकारी एक दूसरे के सीधे संपर्क में नहीं होते हैं और एक दूसरे को नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा, 'कई उद्योगपतियों ने सरकार से कर विभाग में उनका उत्पीड़ने होने की बात कही थी और यही वजह है कि हमने पहचान से स्वतंत्र कर आकलन की शुरुआत की। यह व्यवस्था विजादशमी से शुरुआत है। इसके तहत फिलहाल 58,322 मामले लिए गए हैं।'
अनुराग ठाकुर ने कहा, 'मैं आपसे प्रणाली में और बदलाव का वादा करता हूं जो कि पारदर्शी और अधिक जवाबदेह होंगे। हमें अधिक पारदर्शी प्रणाली बनाकर और उद्योग की मदद कर काफी खुशी होगी, और मुझे पूरा विश्वास है कि आप भी हमें अधिक निवेश करके मदद पहुंचायेंगे।' उन्होंने उद्योगों से कहा कि वह भारत को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवसथा बनाने में अपना योगदान करें। इलेक्ट्रानिक उद्योग से ई-कचरे से उत्पन्न समस्या निपटने का आह्वान करते हुए ठाकुर ने कहा कि भारत में इस समय हर साल 18.5 लाख टन ई-कचरा पैदा हो रहा है। कंपनियों का काम माल बेच देने तक ही खत्म नहीं होता। ई-वेस्ट से निपटना कंपनियों की जिम्मेदारी है। यह एक वैश्विक चुनौती है।