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पोंजी स्‍कीम चलाने वालों को होगी 10 साल की जेल और 50 करोड़ रुपए का जुर्माना

अवैध तरीके से धन जमा करने की पोंजी स्‍कीम चलाने वालों को 10 साल तक की जेल और 50 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रस्‍ताव किया गया है।

Abhishek Shrivastava
Published : March 30, 2016 18:37 IST
निवेशकों को ठगना पड़ेगा महंगा, पोंजी स्‍कीम चलाने वालों को होगी 10 साल की जेल और 50 करोड़ रुपए का जुर्माना
निवेशकों को ठगना पड़ेगा महंगा, पोंजी स्‍कीम चलाने वालों को होगी 10 साल की जेल और 50 करोड़ रुपए का जुर्माना

नई दिल्‍ली। कम समय में अधिक रिटर्न का वादा कर भोलेभाले निवेशकों से पैसा ठगना अब महंगा साबित होगा। पोंजी स्‍कीम चलाने वालों पर कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार ने एक नए विधेयक का मसौदा तैयार किया है। इसमें अवैध तरीके से धन जमा करने की स्‍कीम चलाने वालों को 10 साल तक की जेल और 50 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रस्‍ताव किया गया है। मसौदे में ऐसी सभी प्रकार की जमा योजनाओं को प्रस्तावित कानून के दायरे में लाने की बात कही गई है।

अंतर-मंत्रालयी समूह की सिफारिशों के आधार पर तैयार मसौदा विधेयक में कहा गया है कि गड़बड़ी करने वालों के लिए न्यूनतम एक साल की जेल होगी, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही 10 लाख रुपए तक जुर्माना लग सकता है। विधेयक के मसौदे के अनुसार दूसरी बार गलती करने पर न्यूनतम पांच साल तक की जेल होगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल किया जा सकता है। साथ ही साथ जुर्माना 50 करोड़ रुपए होगा।

बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम्स एंड प्रोटेक्शन ऑफ डिपोजिटर्स इंटरेस्ट (अविनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध एवं जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण) शीर्षक वाले इस विधेयक के मसौदे पर लोगों से 30 अप्रैल तक टिप्पणी आमंत्रित की गई है। पोंजी स्‍कीम के तहत कंपनी छोटे समय में निवेशकों को बड़े रिटर्न का वादा कर अवैध तरीके से बड़ी राशि संग्रह करती है। वे बजाए उस राशि से लाभ कमाने के दूसरे निवेशकों से प्राप्त धन का उपयोग रिटर्न देने में करती हैं और यह क्रम चलता रहता है।

अंतर-मंत्रालयी समूह ने कई विधायी और गैर-विधायी उपायों की सिफारिश की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी 2016-17 के बजट में घोषणा की है कि अनाधिकृत तरीके से जमा प्राप्त करने की योजनाओं से निपटने के लिए व्यापक केंद्रीय कानून चालू वित्त वर्ष में लाया जाएगा। फिलहाल पोंजी योजना चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा राज्य सरकार की एजेंसियों पर है, जबकि बाजार नियामक सेबी अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं तथा अनाधिकृत रूप से सार्वजनिक तौर पर कोष जुटाने की उन गतिविधियों पर कार्रवाई करता है, जहां राशि 100 करोड़ रुपए से अधिक हो या जहां निवेशक 50 या उससे अधिक हैं।

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