अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार लगातार दूसरे साल रविवार को राज्य का बजट अध्यादेश के रूप में लायी। इसके जरिये सरकार को वित्त वर्ष 2021-22 के कुछ महीनों के लिये 70,983 करोड़ रुपये के खर्च के लिये अधिकृत किया गया है। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने आंध्र प्रदेश विनियोग (लेखानुदान) अध्यादेश, 2021 जारी किया। इसके जरिये सरकार को एक अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष के लिये राज्य की संचित निधि से जरूरी खर्च के लिये पैसा निकालने के लिये अधिकृत किया गया है। साथ ही आंध्र प्रदेश विनियोग (संख्या 2) अध्यादेश, 2021 जारी किया गया है।
इसके जरिये वित्त वर्ष 2020-21 के लिये 7,955 करोड़ रुपये के पूरक व्यय को लेकर सरकार को अधिकृत किया गया है। सरकार ने बजट पारित करने को लेकर जरूरी विधानसभा का सत्र 31 मार्च से पहले नहीं बुलाया। इसके लिये स्थानीय निकायों के चुनाव तथा तिरूपति लोकसभा सीट के लिये उप-चुनाव का हवाला दिया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बजट दस्तावेज मंत्रियों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया था और मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी। पिछले साल भी सरकार कोविड-19 महामारी के कारण विधानसभा का सत्र नहीं बुलायी थी और बजट को लेकर अध्यादेश जारी किया गया था। बाद में, जून 2020 में विधानसभा सत्र में वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पारित किया गया।
इस बीच, विपक्षी दलों ने विधानसभा का बजट सत्र बुलाये बिना लगातार दूसरे साल अध्यादेश लाये जाने को लेकर सरकार की आलोचना की है। विधान परिषद में विपक्ष के नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यानामला रामकृष्णुडु ने एक बयान में कहा, ‘‘यह कुछ और नहीं बल्कि सरकार के दिवालियापन को बताता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल लोगों, विधायिका और विपक्षी दलों के प्रति जगन मोहन रेड्डी सरकार की घोर अवमानना को उजागर करता है।’’ उन्होंने कहा कि अध्यादेश के माध्यम से बजट को मंजूरी के जरिये जगन शासन ने एक बुरी परंपरा की शुरूआत की है। आंध्र प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एन तुलसी रेड्डी ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाये बिना बजट के लिये अध्यादेश का सहारा लिया।