नयी दिल्ली। पेट्रोल डीजल के और सस्ते होने की उम्मीद में बैठे आम आदमी को झटका लग सकता है। सरकार ने मार्च तक एक बार फिर से पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के संकेत दिए हैं। कच्चे तेल के दाम पिछले 11 साल के न्यूनतम स्तर पर हैं। लेकिन यदि सरकार एक्साइज ड्यूटी और बढ़ाती है तो पेट्रोल और डीजल के दाम लगभग स्थिर रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार अधिक राजस्व जुटाने तथा राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.9 प्रतिशत के लक्ष्य में रखने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में मार्च से पहले एक और बढो़तरी कर सकती है।
पिछले दो महीने में तीन बार हो चुकी है बढ़ोत्तरी
पिछले माह ही मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल पर 1.17 रूपये प्रति लीटर बढ़ा दी थी। कच्चे तेल की दुनियाभर में गिरती कीमतों का फायदा उठाकर केन्द्र सरकार ने 7 नवंबर को पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 1.60 रुपए प्रति लीटर और डीजल में 30 पैसे प्रति लीटर का इजाफा किया था। इसके पहले एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी के जरिए सरकार ने 3200 करोड़ रुपए हासिल किए थे। नवंबर में दो बार की बढ़ोतरी से पहले सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2015 के बीच पेट्रोल और डीजल पर चार बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी जिसके कारण कीमतों में होने वाली कमी का फायदा जनता के हाथ से निकलकर सरकार के पास चला गया।
20 हजार करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिला
उन चार मौकों पर ही पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 7.75 रुपए और डीजल पर 6.50 रुपए प्रति लीटर बढ़ाई गई। इससे सरकार को करीब 20 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिला और उसे फिस्कल डेफिसिट टारगेट पूरा करने में मदद मिली। 2014.15 में सरकार ने पेट्रोलियम सेक्टर से एक्साइज कलेक्शन के रूप में 99,184 करोड़ रुपए हासिल किए थे। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने जब सबसे पहले कच्चे तेल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी तब कच्चे तेल की कीमत 79 डॉलर प्रति बैरल थी और इस समय भारत को कच्चा तेल 29.34 डॉलर प्रति बैरल मिल रहा है।