नई दिल्ली। सरकार ने साल 2015-16 के लिए छमाही इकोनॉमिक सर्वे जारी कर दिया है। इसमें जीडीपी अनुमान को 8.1-8.5 फीसदी से घटाकर 7-7.5 फीसदी कर दिया गया है। जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में कटौती की मुख्य वजह कमजोर मानूसन के कारण कृषि उत्पादन में आई कमी बताई गई है। संसद में शुक्रवार को पेश की गई मिड-ईयर इकोनॉमिक रिव्यु में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई की दर करीब छह फीसदी के दायरे में रहने की उम्मीद है। इससे पहले आरबीआई ने भी महंगाई के लिए 6 फीसदी का लक्ष्य तय गकिया था। हालांकि, इकोनॉमिक सर्वे में विनिवेश के मोर्चे पर सरकार के सामने कठिन चुनौती की बात कही गई है। विनिवेश में हो रही देरी के कारण सरकार का लक्ष्य अधूरा रह सकता है।
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर सकती है सरकार
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में तमाम मुश्किलों के बावजूद सरकार चालू वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में तय की गई 3.9 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर सकती है। इसके अलावा राजस्व घाटा 2.8 फीसदी के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सरकार को खास परेशानी नहीं होगी। पिछले एक साल से एक्सपोर्ट में लगातार गिरावट दिखाई दे रही है, लेकिन इसके बावजूद सरकार को उम्मीद है कि 2016-17 में इसमें सुधार आ जाएगा।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का राजकोषीय घाटे पर होगा प्रतिकूल असर
मिड-ईयर इकोनॉमिक रिव्यु में कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का प्रतिकूल असर राजकोषीय घाटे पर पड़ेगा। वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सैलरी में 23.55 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी करने की सिफारिश की है। आयोग की सिफारिशों का फायदा 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 52 लाख पेंशनधारकों को मिलेगा। इस सिफारिश को लागू करने के लिए वित्त वर्ष 2016-17 में केंद्र सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा।