नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो के बारे में एक ऑडिट रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है कि कंपनी ने तीन वर्ष की एक अवधि में अपनी आय को कुल मिला कर लगभग 63 करोड़ रुपए कम दिखाया। इस दौरान कंपनी ने विदेशी विनिमय दर में बदलाव से हुए लाभ को आय में नहीं जोड़ा। इससे सरकार को लाइसेंस फीस के रूप में मिलने वाले शुल्क में नुकसान हुआ।
ऑडिट महानिदेशालय (डाक एवं दूरसंचार) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी को इस दौरान लाइसेंस शुल्क का अपेक्षाकृत कम भुगतान करना पड़ा। महानिदेशालय ने रिलायंस जियो द्वारा 2012-13 से 2014-15 वित्त वर्ष के लिए दाखिल सालाना वित्तीय रिपोर्ट और राजस्व मिलान के विवरणों की जांच पड़ताल की है।
उसकी मसौदा रिपोर्ट के अनुसार,
पड़ताल में पता चला कि विदेशी मुद्रा विनिमय दर में परिवर्तन से लाभ हुआ था, लेकिन इस लाभ को राजस्व भागीदारी के लिए समायोजित सकल राजस्व व एजीआर संबंधी विवरण में शामिल नहीं किया गया और लाइसेंस शुल्क के रूप में कम भुगतान किया गया।
- पांच पन्नों की यह रिपोर्ट 22 फरवरी 2017 को आई।
- इसमें कहा गया है कि कंपनी को 2012-13 में 1.29 करोड़ रुपए, 2013-14 में 41.67 करोड़ रुपए व 2014-15 में 20.81 करोड़ रुपए का विदेशी मुद्रा लाभ हुआ था।
- मसौदा ऑडिट के अनुसार, इस तरह से सकल राजस्व व एजीआर में विदेशी मुद्रा विनिमय दर में परिवर्तन से हुए लाभ को शामिल नहीं किया जाना लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है।
- इससे समायोजित सकल राजस्व 63.77 करोड़ रुपए कम आंका गया।
- रिलायंस जियो के प्रबंधन ने कहा कि दूसंचार आयोग ने भी विदेशी मुद्रा विनिमय दर लाभ पर लाइसेंस शुल्क के भुगतान की मांग की थी और कंपनी ने इसको लेकर दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसेड में याचिका दायर कर रखी है।