नई दिल्ली। एक तरफ मोदी सरकार डिजिटल इंडिया का नारा दे रही है, वहीं दूसरी ओर डिजिटल इंडिया के आगे बढ़ने में बाधाएं भी खड़ी कर रही है। भारत में तेजी से चल रही स्टार्टअप और डिजिटल इंडिया की लहर के बीच सरकार ने बिजनेस को बढ़ाने के लिए डिजिटल एडवरटाइजमेंट का सहारा लेना मुश्किल बना दिया है। बजट में सरकार ने डिजिटल एडवरटाइजमेंट पर 6 फीसदी लेवी का प्रस्ताव किया है। इससे स्टार्टअप्स को विज्ञापन देना महंगा पड़ेगा। इंडियन एडवरटाइजर विज्ञापन के लिए इन विदेशी कंपनियों जैसे गुगल, फेसबुक और ट्विटर आदि का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों पर डायरेक्ट टैक्स नहीं लगा सकती, इसलिए दूसरा रास्ता अपनाया है। लेकिन इसका नकारात्मक असर घरेलू स्टार्टअप्स पर पड़ेगा।
डिजिटल एडवरटाइजमेंट पर इनडायरेक्ट टैक्स
सोमवार को बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कोई भी भारतीय कंपनी अगर एक लाख रुपए से अधिक डिजिटल विज्ञापनों पर खर्च करती है तो उसे 6 फीसदी टैक्स देना होगा। हालांकि यह टैक्स सिर्फ विदेशी डिजिटल कंपनियों के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने पर देना पड़ेगा। गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों का भारत में कोई परमानेंट बेस नहीं है, इसलिए इनसे सीधे टैक्स नहीं वसूला जा सकता। इसके अलावा ये कंपनियां अपने देश को अपनी इनकम पर टैक्स दे रही हैं, ऐसे में इन पर कोई ड्यूटी लगाना अंतरराष्ट्रीय अनुबंध के खिलाफ होगा। इसलिए सरकार ने इनडायरेक्ट टैक्स लगाने का फैसला किया है।
स्टार्टअप्स पर पड़ेगा नकारात्मक असर
भारतीय स्टार्टअप्स खासकर जो डिजिटल सेक्टर में हैं, वह अपने ग्राहकों का ध्यान केंद्रित करने और बिजनेस को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन एडवरटाइजमेंट का इस्तेमाल करते हैं। गूगल एेड और फेसबुक एेड अभी सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली प्लेटफॉर्म हैं। 2014-15 में भारतीय एडवरटाइजर्स ने गूगल ऐड पर 4,108 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं 123 करोड़ रुपए फेसबुक पर एेड के लिए खर्च हुए। गूगल और फेसबुक पर एेड के लिए अब 6 फीसदी अतिरिक्त टैक्स भुगतान करना होगा। इससे भारतीय स्टार्टअप्स की चिंता बढ़ गई है। दूसरी ओर नए टैक्स के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए भी नए रास्ते खुल गए हैं। माना जा रहा है कि डिपार्टमेंट जल्द आकर्षक सॉफ्टवेयर सर्विसेस पर टैक्स लगा सकता है।